Jeevan Ki Anmol Nidhi
Jeevan Ki Anmol Nidhi
May 17, 2025 at 12:52 AM
*मेरी बहू मेरा अभिमान* *शादी के लिऐ देखने गई मां ने समधन से कहा, सुयश मेरा एकलौता बेटा है, जैसा नाम वैसा गुण । जब जब मैं दूसरा बच्चा न होने के लिए उदास होती तो विशाल कहते, ईश्वर ने दस बेटों के गुण दिए है हमारे सुयश में । लेकिन मेरा मन एक बेटी की चाहत में हमेशा कलपता रहा । सोचती थी बहू को ही बेटी का प्यार दूँगी। अपनी बहू की जो छवि मैंने सोची थी स्निग्धा उसकी बिल्कुल विपरीत थी। उसकी माँ ने ही हँसते हुए कहा, अपने नाम के विपरीत है स्निग्धा ! लड़कों की तरह वेश भूषा, हँसना,* *बोलना,अक्खड़पना भरा हुआ था उसमें, जाने सुयश को क्या दिखा इसमें ।* *जीन्स और टी शर्ट में आकर उसने हैलो आंटी कहा। मैंने भी प्रत्युत्तर में हैलो ही कहा। तभी उसकी माँ बोली, आंटी के पैर छुओ बेटा। उसको असहज देख कर मैंने कह दिया, रहने दो बेटा, उसकी कोई जरूरत नहीं है। बातों से एकदम बिंदास, खिलखिलाकर हँसने वाली, अपनी माँ से हर बात पर तर्क वितर्क करती "स्निग्धा" मेरे बेटे "सुयश" की पसंद ही नहीं प्यार भी थी ।* *शादी की रस्मों के बाद स्निग्धा हमारे घर आ गयी, और सुयश स्निग्धा अपना हनीमून मना कर वापस भी आ गए ।* ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH *अगले दिन से दोनों को आफिस जाना था। सुबह की नींद मुझे बहुत प्यारी थी, सोचती थी बहू आ जायेगी तो उसके हाथों की चाय पीकर अपने सुबह की शुरुआत करूँगी। लेकिन स्निग्धा को देख कर मैंने अपना ये सपना भुला दिया और सुबह 6 बजे का अलार्म लगा कर सो गई ।* *पूजा की घंटियाँ सुन मेरी नींद खुली, अभी छः भी नहीं बजे थे। बाहर निकल कर देखा, स्निग्धा आरती की थाल लिए, पूरे घर में घूम रही थी। मुझे लगा मैं सपना देख रही हूँ, तब तक वो पास आकर बोली मम्मा प्रसाद लीजिये ।* *फ्रेश होकर बाथरूम से निकली तो मैडम चाय के दो कप लिए हाजिर थीं। चाय पीने के बाद बोली मम्मा मुझे नाश्ते में बस सैंडविच और चीला बनाना ही आता है। आप लोग नाश्ते में क्या खाते हैं? पीछे से सुयश आकर बोला, जो भी तुम बनाओ हम वही खायेंगे।* *सुयश ने मेरा हैरान चेहरा देख कर पूछा," क्या हुआ माँ, चाय पसन्द नहीं आयी !* *नहीं रे इतनी अच्छी चाय तो खुद मैंने ही नहीं बनाई कभी !"* *फिर मैंने स्निग्धा से कहा,"तुम्हें ऑफिस जाना है बेटा, तैयार हो जाओ। अभी मेड आ रही होगी मैं उसके साथ मिलकर नाश्ता बना लूँगी।"* *अरे नहीं मम्मा नाश्ता तो मैं ही बनाऊँगी, फिर तो मैं पूरा दिन आफिस में रहूँगी तो घर पर सब आपको ही देखना पड़ेगा।* *स्निग्धा कभी कोई मौका नहीं देती थी कमी निकालने का, साडी बहुत कम पहनती है, वो हर रोज हमारे पैर भी नहीं छूती, उसकी आवाज भी धीमी नहीं है, उसे घर के काम भी नहीं आते, रोटी तो भारत के नक्शे जैसी बनाती है,और जब गुस्साती है* *तो....उफ्फ पूछिये ही मत ! वो एक आदर्श बहू की छवि से बिल्कुल जुदा है लेकिन ये कमी दुर हो सकती  है।* *खुशियों को भी कभी-कभी नजर लग जाती है ! सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि विशाल को हार्ट अटैक आ गया, मैं उन्हें आई सी यू के बाहर से देख घंटों रोती रहती, उस समय मेरी स्निग्धा ने मुझे सास से बेटी बना दिया। मुझे अपनी बाहों में भरकर चुप कराती, जबरदस्ती अपने हाथों से खाना खिलाती। हर वक़्त यही कहती पापा बिल्कुल ठीक हो जायेंगे। हॉस्पिटल के बिल, दवाइयों का खर्चा इस तरह से देती जैसे उसके अपने पापा का इलाज हो रहा हो ।* *सुयश और मेरे सामने मजबूत चट्टान बनी मेरी स्निग्धा वास्तव में बहुत कोमल थी। घर आने के बाद भी विशाल का ख्याल हम दोनों से ज्यादा रखती । अपनी नई नवेली शादी के बावजूद देर रात तक हमारे साथ बैठी रहती । मासूम गुड़िया सी बहू का सपना देखने वाली सास को एक मजबूत बेटी मिल गयी थी। जिसका चोला पाश्चात्य था पर दिल एकदम देशी था ।* *आज मेरे जन्मदिन पर सुयश ने कहा,"माँ, तैयार हो* *जाइए,आपकी पसन्द की साड़ी खरीदने चलते हैं। "मुझे कुछ नहीं चाहिए सुयश ! तूने स्निग्धा के रूप में मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दे दिया ! मेरी भीगी आँखे पोछ कर सुयश ने पूछा, वैसे है कहाँ आपकी दबंग बहू? जिसने अपनी दबंगई से आपका भी दिल जीत लिया ! तब तक स्निग्धा ने मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर कहा, हैप्पी बर्थडे मम्मा और एक पैकेट पकड़ाते हुए कहा, ये दुनिया की बेस्ट मम्मा के लिए, पैकेट खोल कर देखा, तो उसमें कांजीवरम साड़ी थी, बिल्कुल वैसी ही जैसी मैं हमेशा से लेना चाहती थी ! मेरे आश्चर्य चकित चेहरे को देखकर बोली, वो जब आप रेखा की तस्वीर गूगल पर सर्च करके घंटों देखती थीं तभी मुझे समझ आ गया कि आप उनकी तस्वीरों में देखती क्या हैं ! अपनी जोरदार हँसी के साथ उसने फिर से मुझे गले लगा लिया। खुशी में बहते आँसुओं को पोछकर उसने कहा, “एक माँ के दिल की बात एक बेटी तो समझ ही जाती है ना मम्मा"! हाँ मेरी स्निग्धा बेटी* *विशाल जी भी बोले आदर्शों नियमों पर पड़ गयी भारी, सबसे प्यारी बहू हमारी !!* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join on telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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