
Jeevan Ki Anmol Nidhi
June 7, 2025 at 12:40 AM
ये कहानी एक सन्त Utmutato leleknek की है। ये ईश्वर के होने या ना होने पर है। ये उन चंद कहानियों में से है जिन्होंने मेरे दिमाग मेरी रूह को छुआ है।
कहानी ये है के माँ के गर्भ में दो शिशु बात कर रहे थे। एक ने दूसरे से कहा " क्या तुम delivery के बाद जीवन मे विश्वास रखते हो?
दूसरे ने कहा-- बिल्कुल। कुछ तो है। हो सकता है हम यहां जो बन रहे हैं हो सकता है वो बाद में हमारा बाहर आधार बने।
पहले ने कहा- Nonsense, बहुत बड़ा मूर्ख है तू। यहां से जाने के बाद कोई जिंदगी नहीं। बाहर बिल्कुल अंधेरा है।
दूसरे ने कहा-- हो सकता है बाहर यहां से ज्यादा उजाला हो। हो सकता है बाहर निकल कर हम अपने इन पैरों से चले, इस मूहँ से खाएं। हो सकता है हमारी अन्य senses जो अभी किसी काम की नहीं लग रही, बाहर उनका कोई महत्व हो जाये।
पहला: तू पागल है क्या? तेरे पास कोई लॉजिक है क्या? बाहर जा कर कैसे हम मूहँ से खा सकते हैं? umbilical cord से ही खाना खा सकते हैं जो हमसे बंधी हुई है और जो हमे हर तरह का nutrition दे रही है। ये इतनी छोटी है के बाहर हमारे साथ नहीं जा सकती पूरी तरह। और जब ये बाहर ही नहीं जा सकती तो हमें भोजन कहाँ से मिलेगा? भाई, मृत्यु ही निश्चित है बाहर, कोई जीवन नहीं उस पार।
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दूसरा-- हो सकता है वहां खाने पीने का अलग तरीका हो, जिसमे umbilical cord की जरूरत ना हो। हो सकता है कोई माँ हो जो हमें खिलाये।
पहला- तुझसे बात करना बेकार है पागल। तेरी अवैज्ञानिक सोच है। माँ क्या होती है? बेवकूफ। हम अकेले हैं। तू बता अगर माँ जैसा कोई होता तो अभी तक हमें क्यों नहीं दिखा? अपने आस पास देख तुझे लगता है कोई माँ जैसा भी कोई चीज़ हो सकती है? जब हम यहां परेशान होते हैं, जब हम डर जाते हैं, दुखी होते हैं.... तो क्यों नहीं आती वो माँ। जिसे हम देख नहीं सकते, उसे हम कैसे मान लें। और मान लिया जीवन है बाहर, तो बाहर से कोई कभी अंदर क्यों नहीं आया? भाई delivery का मतलब है end of life... मतलब अंधकार। थोड़ा वास्तविकता में रहा कर।
दूसरा- हो सकता है माँ हमारे आस पास ही हो। हो सकता है हम उसके अंदर ही हों। बाहर हमें वो अपनी बाहों में ले, जैसे अब हमारा ध्यान रख रही हो, ऐसा ही बाहर रखे।
पहला- देख भाई, जिसे नहीं देख सकता, उसे और उसकी presence को मैं नहीं मान सकता। simple straight forward logic of science...
दूसरा-- जब तुम और तुम्हारा मस्तिष्क बिल्कुल शांत हो जाए ध्यान से सुनना.. तुम उसकी presence को महसूस करोगे। तुम उसे सुनोगे जैसे की वो तुम्हे ऊपर से देख रही हो और तुम्हे प्यार से सहला रही हो। बस याद रहे जिस दिन तुम्हारा अहम खत्म होगा, तुम्हारा मन बिल्कुल स्थिर और शांत होगा और तुम माँ के प्रेम में होगे, तुम उसी दिन उसके होने का सबूत पाओगे।
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*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*
° मानव ही सबसे बड़ी जाति °
° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म °
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संकलन कर्ता-
Dev Chandel
CEO & Founder GoojDex
⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️
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