दैनिक सुविचार 🌺🏵️😊🙋♂️
May 22, 2025 at 01:44 AM
22.5.2025
दो प्रकार के कर्म होते हैं। एक सकाम कर्म, और दूसरे निष्काम कर्म।
*"यदि आप सकाम कर्म करेंगे, तो ईश्वर आपको संसार में जन्म देगा। वह भी अच्छे कर्म करने पर अच्छा जन्म = मनुष्य आदि का जन्म देगा। और बुरे कर्म करने पर पशु पक्षी वृक्ष वनस्पति आदि योनियों में जन्म देगा।"*
*"यदि आप निष्काम कर्म करेंगे, तो ईश्वर आपको मोक्ष में आनन्द देगा। इस प्रकार से सकाम और निष्काम कर्मों का फल अलग-अलग है।"*
आप इस जन्म में कमाई हुई धन संपत्ति का लाभ इस जन्म में ले रहे हैं, यह तो ठीक है। परन्तु यदि आप ऐसा चाहते हैं, कि *"मुझे इस संपत्ति का लाभ अगले जन्म में या मोक्ष में भी मिले, तो आप इस भौतिक धन संपत्ति को इसी रूप में तो अगले जन्म में या मोक्ष में अपने साथ नहीं ले जा पाएंगे।"* एक दूसरे उपाय से आप ऐसा कर सकते हैं। वह उपाय वेदों में बताया है कि *"यदि आप शुभ कर्म करें, तो 'शुभ कर्म के रूप' में आप अपनी संपत्ति अपने साथ अगले जन्म में ले जा सकते हैं, नकदी या मोटर गाड़ी बंगला सोना चांदी आदि के रूप में नहीं।" "अतः यदि आप वेदों के अनुसार शुभ कर्मों का आचरण करें, तो यह 'शुभ कर्म रूपी संपत्ति' आपको अगले जन्मों में अथवा मोक्ष में सुख फल दे सकती है।"*
*"यदि आप शुभ कर्म सकाम भावना से करेंगे, तो आपको 'अगले जन्म में' सुख रूप फल मिलेगा। और यदि आप निष्काम भावना से शुभ कर्म करेंगे, तो 'मोक्ष में' सुख रूप फल मिलेगा। अब यह आपकी इच्छा है, कि आप सकाम कर्म करते हैं अथवा निष्काम कर्म।"*
सकाम कर्म करने का तात्पर्य यह है, कि *"जब आप सांसारिक सुख फल प्राप्ति की इच्छा से कर्म करेंगे, तो उसे सकाम कर्म कहेंगे। और यदि मोक्ष फल की इच्छा से शुभ कर्म करेंगे, तो उसे निष्काम कर्म कहेंगे।"* अब यह आपको चुनाव करना है कि *"आप सकाम कर्म करें या निष्काम कर्म। जैसा भी कर्म करेंगे, वैसा ही फल आपको मिल जाएगा। वर्तमान जीवन की इस भौतिक धन संपत्ति को इस जन्म के बाद भी भोगने का यही उपाय है, और कोई दूसरा नहीं।"*
*"आपकी 'भौतिक संपत्ति' अर्थात धन मकान मोटर गाड़ी सोना चांदी इत्यादि को तो मृत्यु आपसे छीन भी लेगी। परंतु आपकी 'शुभ कर्मों की जो संपत्ति' होगी, उसे तो मृत्यु भी आप से नहीं छीन पाएगी। अब यह आपको सोचना है, कि "आप अगले जन्मों या मोक्ष में सुख प्राप्त करने के लिए 'शुभकर्म रूपी संपत्ति' इकट्ठी करें, या न करें।"*
----- *"स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।"*
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