दैनिक सुविचार 🌺🏵️😊🙋♂️
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यहां आप प्रतिदिन सुविचार पढ़कर, उन पर मनन एवं आचरण करके, अपने जीवन का कल्याण कर सकते हैं। -- *स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात।*
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21.5.2025 प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सुखमय एवं सफल बनाना चाहता है। परंतु स्वार्थ एवं अविद्या के कारण वह दूसरों के साथ अनेक प्रकार के दुर्व्यवहार तथा अन्यायपूर्ण व्यवहार करता रहता है। इसका परिणाम यह होता है, कि *"उसके जीवन में चिंताएं तनाव भय आशंकाएं इत्यादि उत्पन्न करके ईश्वर तत्काल उसे दंड देता है।" "ईश्वर की इस न्याय व्यवस्था को न समझने के कारण, तथा अपनी मूर्खता और स्वार्थ के कारण व्यक्ति दूसरों पर अपना अन्याय जारी रखता है, और जीवन भर दुखी चिंतित एवं परेशान रहता है।"* *"यदि वह ईश्वर की न्याय व्यवस्था को समझकर दूसरों के साथ सभ्यतापूर्वक न्यायपूर्वक उत्तम व्यवहार करे, तो उसका जीवन सुखमय एवं सफल हो सकता है।"* अतः ईश्वर की न्याय व्यवस्था को समझने का प्रयास करें। संसार में लाखों प्रकार के जो जीव जंतु दिखाई देते हैं, यही ईश्वर का न्याय है। *"जो लोग बुरे काम करते हैं, दूसरों को अन्यायपूर्वक दुख देते रहते हैं, वही लोग अगले जन्मों में पशु पक्षी वृक्ष वनस्पति आदि लाखों योनियों में दंड भोगते हैं।"* *"और जो ईश्वर के संविधान का पालन करते हुए सबके साथ न्यायपूर्वक उत्तम व्यवहार करते हैं, वे इस जीवन में भी सुखी रहते हैं, और अगले जन्मों में भी उत्तम मनुष्य जन्म पाकर सदा सुखी होते हैं।"* ---- *"स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक - दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात."*
23.5.2025 हर रोज सुबह-सुबह लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं, कुछ न कुछ मांगते हैं। *"हे भगवान हमें पुत्र दीजिए। हमारा परिवार अच्छा हो। हमें सोना चांदी मोटर गाड़ी धन संपत्ति सुख समृद्धि सब कुछ दीजिए।"* ठीक है। जीवन चलाने के लिए ये सब वस्तुएं भी आवश्यक हैं, मांगनी चाहिएं। इससे हमारा कोई विरोध नहीं है। परंतु इन सब वस्तुओं के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना यह होनी चाहिए, कि *"हे भगवान हमको सद्बुद्धि दीजिए। जिससे कि हम दूसरों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार कर सकें।"* *"क्योंकि जब व्यक्ति न्यायपूर्ण व्यवहार करता है, तब उसको जो सुख शांति आनंद प्रसन्नता संतोष आदि मिलता है, वह और किसी भी प्रकार से नहीं मिलता। यदि किसी व्यक्ति के पास खूब धन संपत्ति हो, और जीवन में शांति संतोष आनंद प्रसन्नता न हो, वह तनाव से युक्त हो, तो वह भौतिक संपत्ति भी उसे कोई विशेष सुख नहीं दे सकती।"* *"यदि किसी के जीवन में सुख शांति आनंद संतोष मानसिक प्रसन्नता हो, वह व्यक्ति तनाव से मुक्त हो, तो उसे फिर और मांगने को क्या बच गया? कुछ नहीं। उसे तो थोड़े से भौतिक साधन भी बहुत सुख देते हैं।"* अतः ईश्वर से यह मांगें, कि *"हे भगवान हमको तो बस यही वरदान दीजिए, कि हम सद्बुद्धिपूर्वक सबके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार कर सकें." "यदि हम इतना करने में समर्थ हो जाएंगे, तो हम तनाव से मुक्त हो कर, पूरी तरह से सुखी संपन्न और संतुष्ट होकर जी सकेंगे।"* ---- *"स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक - दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात."*
22.5.2025 दो प्रकार के कर्म होते हैं। एक सकाम कर्म, और दूसरे निष्काम कर्म। *"यदि आप सकाम कर्म करेंगे, तो ईश्वर आपको संसार में जन्म देगा। वह भी अच्छे कर्म करने पर अच्छा जन्म = मनुष्य आदि का जन्म देगा। और बुरे कर्म करने पर पशु पक्षी वृक्ष वनस्पति आदि योनियों में जन्म देगा।"* *"यदि आप निष्काम कर्म करेंगे, तो ईश्वर आपको मोक्ष में आनन्द देगा। इस प्रकार से सकाम और निष्काम कर्मों का फल अलग-अलग है।"* आप इस जन्म में कमाई हुई धन संपत्ति का लाभ इस जन्म में ले रहे हैं, यह तो ठीक है। परन्तु यदि आप ऐसा चाहते हैं, कि *"मुझे इस संपत्ति का लाभ अगले जन्म में या मोक्ष में भी मिले, तो आप इस भौतिक धन संपत्ति को इसी रूप में तो अगले जन्म में या मोक्ष में अपने साथ नहीं ले जा पाएंगे।"* एक दूसरे उपाय से आप ऐसा कर सकते हैं। वह उपाय वेदों में बताया है कि *"यदि आप शुभ कर्म करें, तो 'शुभ कर्म के रूप' में आप अपनी संपत्ति अपने साथ अगले जन्म में ले जा सकते हैं, नकदी या मोटर गाड़ी बंगला सोना चांदी आदि के रूप में नहीं।" "अतः यदि आप वेदों के अनुसार शुभ कर्मों का आचरण करें, तो यह 'शुभ कर्म रूपी संपत्ति' आपको अगले जन्मों में अथवा मोक्ष में सुख फल दे सकती है।"* *"यदि आप शुभ कर्म सकाम भावना से करेंगे, तो आपको 'अगले जन्म में' सुख रूप फल मिलेगा। और यदि आप निष्काम भावना से शुभ कर्म करेंगे, तो 'मोक्ष में' सुख रूप फल मिलेगा। अब यह आपकी इच्छा है, कि आप सकाम कर्म करते हैं अथवा निष्काम कर्म।"* सकाम कर्म करने का तात्पर्य यह है, कि *"जब आप सांसारिक सुख फल प्राप्ति की इच्छा से कर्म करेंगे, तो उसे सकाम कर्म कहेंगे। और यदि मोक्ष फल की इच्छा से शुभ कर्म करेंगे, तो उसे निष्काम कर्म कहेंगे।"* अब यह आपको चुनाव करना है कि *"आप सकाम कर्म करें या निष्काम कर्म। जैसा भी कर्म करेंगे, वैसा ही फल आपको मिल जाएगा। वर्तमान जीवन की इस भौतिक धन संपत्ति को इस जन्म के बाद भी भोगने का यही उपाय है, और कोई दूसरा नहीं।"* *"आपकी 'भौतिक संपत्ति' अर्थात धन मकान मोटर गाड़ी सोना चांदी इत्यादि को तो मृत्यु आपसे छीन भी लेगी। परंतु आपकी 'शुभ कर्मों की जो संपत्ति' होगी, उसे तो मृत्यु भी आप से नहीं छीन पाएगी। अब यह आपको सोचना है, कि "आप अगले जन्मों या मोक्ष में सुख प्राप्त करने के लिए 'शुभकर्म रूपी संपत्ति' इकट्ठी करें, या न करें।"* ----- *"स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।"*