Anjuman Zeya E Akhtar
Anjuman Zeya E Akhtar
May 18, 2025 at 02:21 PM
एक फतवा आया था शेख असरार राशिद साहब क़िब्ला इंग्लैंण्ड की जानिब से जिसका मफ़हूम ये था कि मौजूदा हालत #जीम की है इधर और उधर की, जो इधर से कलमे वाला गया वो हराम के साथ गया , एक फतवा आया है अफगानिस्तान के एक बड़े शेख की जानिब से कि ये महज़ मुल्की तनाज़े है इसका जीम से कोई लेना देना नहीं , और मुझे अफगानिस्तान के शेख का फतवा हक़ के ज़्यादा क़रीब नज़र आता है , कई लोगों ने मुझ जैसे नाक़ीसुल अक़्ल से पूछा कि असरार साहब तो ये कह रहे हैँ इसमें क्या हक़ीक़त है , मैंने जवाब दिया कि ये उनका अपना मौक़िफ़ हो सकता है , क़ुरआन हदीस का फरमान नहीं , मुफ़्ती फतवा देने में गलती भी कर सकता है , अब वजह सुनिए , इधर वाले जिस तरह से ज़मीन के एक खित्ते को खुदा का दर्जा दिए हुए हैँ , उधर वाले भी कोई वतन परसती में किसी से कम नहीं हैँ , ये और बात है कि खुदा न कहते हों मगर ज़मीन के खित्ते के लिए ही उनका अमल होता है न कि किसी धर्म मज़हब के लिए , अगर वाक़ई में मज़हब के लिए है तो बताइये अफगानिस्तान के इतने रिफ्यूजीस इन्होंने भगाए और गालियां दीं सोशल मिडिया पर सब विडिओस मौजूद हैँ वो किसी दूसरे धर्म के थे ?? अफगानियों से इनका 36 का आंकड़ा है वो किसी मूर्ति पूजा में मुलवविस हैँ ?? हमने तो इनके साथ अरसा गुज़ारा है दुबई में हम अच्छे से जानते हैँ इनकी वतन परस्ती और मज़हब परस्ती हमें न समझाइयेगा ,, चंद एक अहले इल्म को छोड़कर अक्सरीयत ज़मीनी खित्ते के लिए काम करती है न कि मज़हब धर्म के लिए ,, और जब बात होती है तो अक्सरीयत पर होती है अक़लियत पर नहीं ,, ये बात ज़रूर है कि जानिबैन ने लोगों को जमकर उल्लू बनाया है अपने अपने मज़हब के नाम पर , उसने अपने मज़हब को ढाल बनाया तो दूसरे ने अपने , मगर हक़ीक़त इन सबसे कोसों दूर हैँ , और गालियां खाई यहाँ के बुल्लों ने दोनों तरफ से 😠😠😠😠😠 एक और बात सुन लीजिये जो गुण गाते हैँ वहाँ के , उनको तुमसे कोई सरोकार नहीं है तुम उनकी नज़र में वैसे ही हो जैसा वो सबको समझते हैँ किसी ख़ुश फहमी में न रहो , जब कभी वक़्त आएगा तो तुम्हें अपना ज़ख्म खुद ही साफ करना है ये याद रखो ,,, कोई तुम्हारा यारो मददगार नहीं है , गा ज़ा की तरह ,,, अगर अब भी आप सोचते हैँ की उन्हें बहुत हमदर्दी है अपने हम मज़हब से तो बताइये वहाँ से गा ज़ा के लिए जीम का फतवा आने के बाद भी अब तक कितनी कार्रवाई हो चुकी है उस फतवे के मुताबिक़ ?? बे वक़ूफ़ मत बनो किसी के चककर में वरना माँ बाप की चप्पल घिस जाएंगी और ज़मानत भी न होगी , जैसा कि कइयों के साथ हो भी चुका है ऐसा कहीं सच्ची ख़बर है कहीं झूठा फंसाया गया है , अब तुम्हें खुद झेलना है बीवी बच्चे माँ बाप सब तुम्हारे लिए ही दौड़ेंगे जिंदगी भर ,,, फ़ितरत के तक़ाज़े के मुताबिक़ जहाँ रहते हो वहाँ से मुहब्बत करो ,, परसतीश नहीं मगर फ़ितरत को भी न झूठलाओ हाँ हद से भी आगे न बढ़ो,,
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