
Anjuman Zeya E Akhtar
May 23, 2025 at 05:06 AM
मुझ पर निगाह-ए-लुत्फ़ फरमा दीजिए
आप तो हर मरीज़ के तबीब हैं
आप की बहादुर उम्मत ग़ज़ा में शहीद हो रही है
उन पर निगाह-ए-रहमत फरमा दीजिए
अस-सलातु वस-सलामु अलैका या सय्यदी या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
आप हज़रात आज जुमे की नमाज़ में फलस्तीन, ग़ज़ा के मज़लूम मुसलमानों को ज़रूर याद करें
उन पर बड़े ज़ुल्म हो रहे हैं 💔
~ अब्द-ए-मुस्तफ़ा
