Anjuman Zeya E Akhtar
Anjuman Zeya E Akhtar
June 3, 2025 at 05:37 PM
गोया नूर यहाँ से तक़्सीम हो रहा हो हक़ीक़त भी यही है। नूर-ए-ईमान इसी दर से तक़्सीम होता है शेख़ अब्दुल अज़ीज़ अद-दब्बाग़ अल-मिस्री फ़रमाते हैं हुज़ूर सय्यिद-ए-आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दिल-ए-अनवर से नूर की तजल्लियात निकलती हैं जो हर मोमिन के दिल में समा जाती हैं। जब हुज़ूर वह तजल्ली सलब (ख़त्म) फ़रमाते हैं तो इंसान काफ़िर हो जाता है। हस्सान उल-हिंद इमाम अहमद रज़ा बरेलवी फ़रमाते हैं तू ने ईमान दिया तू ने जमाअत में लिया तू करीम अब कोई फिरता है अतिया तेरा ~ अब्द-ए-मुस्तफा
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