
"Message Of Islam'' ,Quran or Hadees,
May 28, 2025 at 01:19 AM
कुर्बानी के ज़रिए इसाल-ए-सवाब करने के हुक्म
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे को सवाब पहुँचाने की नीयत से कुर्बानी करता है, तो असल में यह कुर्बानी उस व्यक्ति की तरफ से नफली (स्वेच्छा से) होती है और उसका सवाब दूसरे को पहुँचाया जाता है। इसके लिए नफली कुर्बानी करना और उसका सवाब किसी को पहुँचाना चाहिए। यह तरीका सही है और कई लोगों को सवाब पहुँचाना भी सही है। जैसा कि हज़रत नबी करीम (ﷺ) का अमल था कि आप नबी इब्राहीम (عليه السلام), अपने उम्मत, अपने माता-पिता और बाकी मृत मुसलमानों को सवाब पहुँचाते थे।
इसाल-ए-सवाब का मकसद किसी जानवर को ज़बह करना नहीं है, बल्कि बड़े जानवर की कुर्बानी के हिस्से रखना भी ठीक है।
चंद लोग मिलकर किसी के लिए इसाल-ए-सवाब करना चाहें तो कर सकते हैं, लेकिन सही तरीका यह है कि हर व्यक्ति अपनी तरफ से जानवर खरीद कर कुर्बानी करे और उसका सवाब भेजे। दूसरों की ओर से इसाल-ए-सवाब करना जरूरी नहीं है।
चूंकि यह नफली कुर्बानी होती है, इसलिए इसका गोश्त आम कुर्बानी की तरह होता है – खुद भी खा सकते हैं और दूसरों को भी खिला सकते हैं।
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