
"Message Of Islam'' ,Quran or Hadees,
May 30, 2025 at 02:43 AM
हर दिन का रोज़ा एक साल के रोज़ों के बराबर
हर रात की इबादत शब-ए-क़द्र की इबादत के बराबर
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि०) फ़रमाते हैं कि रसूल अल्लाह (स.अ.व.) ने इरशाद फ़रमाया:
"ऐसा कोई दिन नहीं है जिसमें इबादत करना अल्लाह तआला को ज़िल-हिज्जा के दस दिनों में इबादत करने से ज़्यादा महबूब हो।"
उसके हर दिन का रोज़ा एक साल के रोज़ों के बराबर है,
और उसकी हर रात की इबादत शब-ए-क़द्र की इबादत के बराबर है।
(सुनन-इब्न-माज़ा : किताब उस-स़ौम, बाब : याे़मुल अश़र)
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