Al Quraan Roohani Idara
Al Quraan Roohani Idara
May 21, 2025 at 08:00 AM
*फज़ाइल ए क़ुर्बानी* *______________________________* *_मख़सूस जानवर को मख़सूस दिन ज़िबह करने को क़ुर्बानी कहते हैं,क़ुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है जो इस उम्मत में भी बाकी रखी गयी है,मौला तआला क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि_* *अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और क़ुर्बानी करो* *📚 पारा 30,सूरह कौसर,आयत 2* *_पहले एक मसले की वज़ाहत कर दूं फिर आगे बयान करता हूं,जिस तरह कुछ लोग सोशल मीडिया को इल्मे दीन फैलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं वहीं कुछ लोग सिवाये खुराफात फैलाने और जिहालत भरे msg भेजकर लोगों को बरगलाने और कंफ्यूज़ करने की कोशिश करते हैं,जैसा कि आज कल एक msg आ रहा है कि इसको बक़र ईद ना कहें बल्कि ईदुल अज़हा कहें,तो ईदुल अज़हा कहना अच्छा है मगर ये कि बक़र ईद ना कहें ये सिवाए जिहालत के और कुछ नहीं है,बक़र माने गाय होती है और इस नाम से क़ुर्आन में पूरी एक सूरह, सूरह बक़र के नाम से मौजूद है तो जो लोग बक़र ईद ना कहने के लिए msg कर रहे हैं ऐसे जाहिलों को चाहिए कि वो इस सूरह का नाम भी बदल कर अपने हिसाब से कुछ अच्छा सा रख लें,खैर बक़र ईद कहना हमारे अस्लाफ से साबित है जैसा कि फक़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा ने अनवारुल हदीस में कई जगह बक़र ईद तस्नीफ फरमाया है,चलिये अब कुछ हदीसे पाक इस बारे में मुलाहज़ा फरमा लें_* *हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि क़ुर्बानी के दिनों में अल्लाह को क़ुर्बानी से ज़्यादा कोई अमल प्यारा नहीं और जानवर का खून ज़मीन पर गिरने से पहले क़ुबुल हो जाता है,और क़ुर्बानी करने वाले को जानवर के हर बाल के बदले 1 नेकी मिलती है* *📚 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 264* *_यानि साहिबे निसाब अगर 5000 की क़ुर्बानी ना करके 1,करोड़ रुपया भी सदक़ा कर देगा तब भी सख्त गुनाहगार होगा लिहाज़ा क़ुर्बानी ही की जाए अगर इतनी इस्तेताअत ना हो कि बकरा खरीद सके तो बड़े जानवर में हिस्सा ले सकता है,और जिस पर क़ुर्बानी वाजिब है यानि साहिबे निसाब तो है मगर पास में पैसा नहीं है यानि सोने चांदी का मालिक है तो ऐसी सूरत में कुछ बेचकर या कर्ज़ लेकर क़ुर्बानी करनी होगी अगर नहीं करेगा तो गुनाहगार होगा_* *हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो इसतेताअत रखने के बावजूद क़ुर्बानी ना करे तो वो हमारी ईदगाह के क़रीब ना आये* *📚 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 263* *_सोचिये ऐसे शख्स को जो कि क़ुर्बानी की ताक़त रखने के बावजूद भी क़ुर्बानी ना करे उसको हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ईदगाह आने की भी इजाज़त नहीं दे रहे हैं,खुदारा ऐसी वईद में गिरफ्तार ना हों अगर साहिबे निसाब हैं तो ज़रूर ज़रूर क़ुर्बानी करें_* *नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने 2 मेढ़ों की क़ुर्बानी की जो कि खस्सी थे* *📚 इब्ने माजा,हदीस 3122* _________________________________
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