'अपनी माटी' पत्रिका
'अपनी माटी' पत्रिका
May 16, 2025 at 12:44 AM
अनारको के आठ दिन’ महज 104 पृष्ठों की बालमन से जुड़ी एक ऐसी किताब जो आपको उन तमाम सवालों से सामना कराती है जिनसे शायद आप कभी मिले न हो या जिनसे किनारा कर लिया हो। इस पुस्तक की केंद्रीय पात्र 9-10 वर्षीय लड़की अनारको है। और इसी अनारको के आठ दिन की कहानी इस किताब में वर्णित है। अनारको के साथ इस किताब में बतौर पात्र के रूप में अनारको का मित्र किंकु, अनारको के माता-पिता भी है। यह किताब लिखी है सत्यु ने और इसे छापा है राजकमल प्रकाशन ने। किताब का पहला संस्करण 1994 मे आता है और छठा संस्करण 2022 में। किताब का पलटता हर पन्ना आपके अंदर एक सवाल छोड़ जायेगा, वह सवाल जिन्हें अनारको अपने माता पिता के माध्यम से हर हाड़ मांस के बने पुतले से पूछ रही है जिन्होंने अपने बच्चे के बचपन को अपने अनुसार ढाला है। अनारको पूछ रही है सवाल हर उस शख्स से जिन्होंने सभ्यता और अनुशासन का चोला ओढ़ा अपने बच्चे के बचपन को कैद कर दिया है। वह सवाल पूछ रही है हर उस इंसान से जिन्होंने बचपन को भय की परिधि तक सीमित कर दिया है। सीधे,सरल और तीखें सवालों के साथ अनारको इस किताब में समाज पर कुछ प्रश्नचिन्ह लगती हुई हमको दिखाई देती है। [" शोध आलेख : ‘अनारको के आठ दिन’ : यथार्थ से स्वप्न की यात्रा / पारस सैनी "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( बाल साहित्य विशेषांक अंक - 56 ) ] लिंक 👉 https://www.apnimaati.com/2024/12/blog-post_653.html
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