'अपनी माटी' पत्रिका
'अपनी माटी' पत्रिका
May 17, 2025 at 01:09 PM
समाज और सिनेमा दोनों ही एक-दूसरे को विभिन्न पहलुओं में प्रभावित करते हैं। समाज का ही एक व्यक्ति फिल्मों में किरदार के रूप में नज़र आता है तो दूसरी ओर वही किरदार समाज के कई हिस्सों में पैदा होने लगते हैं क्योंकि सिनेमा समाज के युवा वर्ग के लिए एक रोल मॉडल प्रस्तुत करता है। प्रत्येक किरदार के कई पक्षों को सिनेमा में देखा जाता है परंतु जब नायक ही खलनायक के तौर पर नज़र आता है तो उसके हेयरस्टाइल और पहनावे से लेकर उसके विचार और डाइलोग्स, जनता को अधिक उत्तेजित करने लगते हैं। सिनेमा में समाज को एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करने की क्षमता है और फिल्मों का अभिनेता उस नवीन दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम हो सकता है। 21वीं सदी के सिनेमा के नायक जब एंटी हीरो या एक विलेन के रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं तो यह भविष्य के लिए घातक सिद्ध होने की संभावना को बढ़ा देता है। प्रस्तुत लेख में हिन्दी सिनेमा में नायकों और खलनायकों के बदलते स्वरूप और जनता में उसके प्रभाव एवं आम जनमानस के मूल्यों में आए परिवर्तन को दर्शाने का प्रयास किया गया है। *शोध आलेख : हिन्दी सिनेमा में एंटी-हीरो और ट्रैजिक-हीरो की बढ़ती प्रवृत्ति / प्रिया कुमारी* [ लिंक 👉 https://www.apnimaati.com/2024/12/blog-post_235.html ]
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