
'अपनी माटी' पत्रिका
May 19, 2025 at 12:29 AM
शोध कार्य का मूल उद्देश्य मुस्लिम समुदायों की लड़कियों की शिक्षा तक पहुँच की समकालीन वास्तविकता की जाँच करना है। ताकि उनकी शैक्षिक स्थिति में सुधार करने के लिए, विशेष रूप से उनकी समस्याओं तथा नीति एवं कार्यक्रमों को अमल में लाने के लिये सुझाव दिए जा सकें। इनमें मुस्लिम समुदायों की लड़कियों के तीखे पूर्वकालीन भेदों को, सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन के जरिये काफी हद तक हल कर दिया गया है और इन्हें एक बेहतर सामान्य आधार प्रदान किया है। हालाँकि अभी भी बहुत हद तक भौतिक तथा सांस्कृतिक विभिन्नताएं बनी हुई हैं, फिर भी प्रासंगिक संवेदनशीलता बनाए रखने के लिए इनकी शैक्षिक स्थिति को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। किसी आम भारतीय नागरिक की तरह हम जानते हैं कि ‘धर्म’ एक महत्वपूर्ण संस्था है। मुस्लिम धर्म कई वर्षों से भारतीय इतिहास एवं संस्कृति का एक हिस्सा है परंतु इक्कीसवीं सदी में रहने वाले किसी भी भारतवासी की तरह हम यह भी जानते हैं कि ‘धर्म’ केवल हमारी मान्यता का नहीं बल्कि हमारे समाजीकरण का भी प्रभावी घटक है। यह ‘धर्म’, एक जो भारत के अतीत का हिस्सा माने जाते हैं और दूसरी जो कि भारत के वतर्मान का भी हिस्सा है, कहाँ तक समान हैं? इन विचारों को भी, इस अध्ययन में समझने का प्रयास किया है।
[" शोध आलेख : मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा : एक पुनरुत्पादित लोकाचार / वीरेंद्र कुमार चंदोरिया एवं पूजा सिंह "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( अंक 57 ) ]
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