'अपनी माटी' पत्रिका
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May 20, 2025 at 01:21 AM
साहित्य के इतिहास में बहुत कम ऐसे प्रतिभाशाली रचनाकार हुए, जो उन्नत सामाजिक चेतना के साथ-साथ सूक्ष्म इतिहास दृष्टि से भी संपन्न हों। ज्ञान विज्ञान से उर्वर मिथिला भूमि में जन्मे मायानंद मिश्र ऐसे ही प्रतिभा संपन्न रचनाकार थे, जिन्होंने मिथिलांचल की तमाम सामाजिक विसंगतियों के साथ-साथ इतिहासाख्यान को अपनी रचनाओं का आधार बनाया तथा हिन्दी एवं मैथिली दोनों भाषाओं को अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से समृद्ध किया। कालजयी रचनाकार मायानंद मिश्र का जन्म 17 अगस्त 1934 ई. को भागलपुर ज़िला के बनैनियाँ गाँव में हुआ था। जो इन दिनों सुपौल ज़िला में है। उनके पिता का नाम बबुनंदन मिश्र एवं माता का नाम दुर्गा देवी था। बाल्यावस्था में ही माँ का निधन होने और कोसी के प्रलयंकारी बाढ़ के प्रकोप के कारण उनका पालन- पोषण ननिहाल (सुपौल) में हुआ। जहाँ उनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रसिद्ध संगीतज्ञ, नाना नागेश्वर झा एवं मैथिली के प्रसिद्ध रचनाकार मामा रामकृष्ण झा ‘किसुन’ के सानिध्य में हुआ। सन् 1950 में मैट्रिक की परीक्षा सुपौल से पास करने के पश्चात वो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दरभंगा आए। जहाँ उन्होंने चन्दधारी मिथिला कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसी दौरान सन् 1952 में उनका विवाह चंदशेखर मिश्र की बेटी और मैथिली के प्रसिद्ध कथाकार ललित की छोटी बहन कुमारी मनी मिश्रा से हुआ। सन् 1956 में वो आकाशवाणी पटना में नौकरी करने पटना आ गए। जहाँ नौकरी करते हुए उन्होंने 1960 में हिन्दी एवं 1961 में मैथिली विषय में बिहार विश्वविद्यालय से एम. ए. किया। [" शोध आलेख : मायानंद मिश्र : एक विस्मृत ऐतिहासिक उपन्यासकार / निर्मल कुमार "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( अंक - 59 ) ] लिंक 👉 https://www.apnimaati.com/2025/03/blog-post_10.html
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