'अपनी माटी' पत्रिका
May 20, 2025 at 12:13 PM
सरल शब्दों में भूमंडलीकरण का अर्थ एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें समस्त विश्व को एक इकाई माना जाता है या यह कहा जा सकता है कि जिसमें सम्पूर्ण विश्व का एकीकरण हो जाए। यह एकीकरण आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक हर पक्ष का एकीकरण है। कुछ विद्वान समूचे विश्व को एक वैश्विक ग्राम या ग्लोबल विलेज की संज्ञा भी देते हैं, इसे ही वैश्वीकरण भी कहा जाता है। वर्तमान में यही वैश्विक ग्राम या यूँ कहें पूरा विश्व एक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और यह परिवर्तन सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक धरातलों पर अत्यंत तेजी से घटित होता दिखाई दे रहा है और निरंतर जारी है। कुछ प्रगतिशील विचारक वैश्वीकरण को एक षड्यंत्र मानते हैं उनके अनुसार अति विकसित और सुपर पावर देश द्वारा भूमंडलीकरण के बहाने या भूमंडलीकरण के नाम पर एक विचित्र-सी एक ध्रुवीय वैचारिकता का प्रसार किया जा रहा है और इस प्रकार सम्पूर्ण संसार को एक ध्रुवीय बनाकर विश्व राजनीति और आर्थिक व्यवस्था को निगल लेने का हित साधा जा रहा है। वैश्वीकरण के नाम पर अति विकसित और बड़े शक्तिशाली देश की यह भूमंडलीकरण की आर्थिक नीति द्वारा संसार के विकासशील, गरीब और निर्बल देशों की स्वायत्ता और सार्वभौमिकता को नष्ट करने की चेष्टा की जा रही है। किसी गरीब, विकासशील देश विशेष की सभ्यता और संस्कृति जो कि उस देश के समाज की जीवन शैली और परम्परा को निर्धारित करती है; पोषित करती है, उस समाज की बुनावट और ताने-बाने को भूमंडलीकरण के आर्थिक विधान द्वारा पूरी तरह तहस नहस करके विकसित राष्ट्र के वर्चस्व को हर राष्ट्र और समाज पर बलपूर्वक थोपने का प्रयास किया जा रहा है। यदि सीधे सरल और स्पष्ट वाक्य में कहा जाए तो भूमंडलीकरण की प्रक्रिया आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया है जोकि बाजारवादी नीति का परिणाम है। बाजारवादी नीति अर्थात एक ऐसी नीति जिसमें हर वस्तु, पदार्थ, व्यक्ति, समाज और यहाँ तक कि राष्ट्र को भी एकमात्र वस्तु में रूपांतरित कर उसकी कीमत बाजार के अनुसार तय कर दी जाती है।
*शोध आलेख : भूमंडलीकरण के दौर के सिनेमा में लोक भाषा का प्रश्न / प्रभात यादव*
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