
RSS संघ को समझना है तो शाखा में आओ......
June 13, 2025 at 03:47 AM
मनुष्य की प्रथम गुरु माँ ही होती है क्योंकि मनुष्य जीवन में नैतिकता का प्रथम बीज माँ ही अंकुरित कर सकती है।
माँ के द्वारा दिया हुआ नैतिक ज्ञान ही मानव व्यवहार को निर्धारित करता है, सही और गलत की पहचान कराता है। नैतिक ज्ञान उन मूल्यों और सिद्धांतों का एक संग्रह है जो मानव जीवन के आचार-व्यवहार को निर्देशित करता हैं, जिससे व्यक्ति समाज में अच्छे और सकारात्मक तरीके से जीवन यापन कर सकें।
बचपन में "नैतिक शिक्षा" नाम की एक किताब हमारे पाठ्यक्रम में शामिल थी। जोकि सामाजिक अच्छाईयो और बुराइयों का दर्पण हुआ करती थी। चरित्र निर्माण, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, संवेदनशीलता और आपसी संबंधों को मजबूती प्रदान करने में सहायक थी।
आज हम बड़ी-बड़ी पढ़ाईयां पढ़ रहे है लेकिन नैतिक ज्ञान के बिना नैतिक सिंद्धांतों, जीवन आदर्शो को अंधकार की गहराइयों में धकेलने के समान है।
आज हम आधुनिकता में रमे-बसे जा रहे है, अपने बच्चों को अत्यधिक, अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान कर रहे है। प्रत्येक जीवन में संघर्ष होना चाहिये, जिस मनुष्य के जीवन में संघर्ष नहीं वह जीवनमूल्यों को क्या जानेगा-समझेगा, क्या उसकी कद्र करेगा। हमारा संघर्ष ही हमारी पहचान होता है। ज़ब हमारे संघर्षो (कठिन परिश्रम) के बारे में हमारे बच्चों को पता चलता है तब उनको भी अपने लिये नित नये आयामों को तय करने की प्रेरणा मिलती है।

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