
SWAYAM SAINIK DAL_SSD
June 11, 2025 at 06:50 AM
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*एक बूंद एकै मल-मूतर, एक चाम एक हाड़ा।*
*एकै गात एकै रक्त बिंदु, ता कैसे बाम्हण कैसे शूद्रा।।*
*अर्थ:* सभी मनुष्य एक ही बूंद से उत्पन्न हुए हैं, सभी के शरीर में एक ही प्रकार का मल-मूत्र, एक ही खाल और एक ही हड्डी है। सबका शरीर और रक्त एक समान है, तो फिर कौन ब्राह्मण और कौन शूद्र? यह दोहा सभी मनुष्यों की मूल समानता पर जोर देता है।
*~ समाज सुधारक मूलनिवासी महानायक कबीर साहेब*
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