SWAYAM SAINIK DAL_SSD
SWAYAM SAINIK DAL_SSD
June 11, 2025 at 07:00 AM
☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️ *मूँड़ मुँड़ाये हरि मिलें, सब कोई लेइ मुँड़ाय।* *बार-बार के मूँड़ते, भेड़ न बैकुंठ जाए।।* *अर्थ:* यदि सिर मुंडवाने से भगवान मिलते, तो सब कोई मुंडवा लेता। बार-बार मुंडवाने वाली भेड़ें भी बैकुंठ नहीं जातीं। यह दोहा दिखावे के लिए किए जाने वाले त्याग या वेशभूषा बदलने जैसी प्रथाओं का खंडन करता है। *~ समाज सुधारक मूलनिवासी महानायक कबीर साहेब* ☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️
👍 🙏 ❤️ 40

Comments