AAP Pulse
AAP Pulse
June 13, 2025 at 04:43 PM
अपने ही देश की जनता द्वारा चुनी सरकार का दिल्ली बोर्ड ऑफ़ स्कूल एजुकेशन बीजेपी को मंज़ूर नहीं है। पर विदेशी सरकार द्वारा समर्थित बोर्ड भारत में स्कूल चलाए, ये बीजेपी को स्वीकार है!! क्या ये ग़ुलामी की मानसिकता नहीं है? वेस्टर्न ऑस्ट्रेलियन सर्टिफ़िकेट ऑफ़ एजुकेशन (WACE) को भारत के सभी राज्य शिक्षा बोर्ड और सीबीएसई के साथ बराबरी का दर्जा भारत सरकार की एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) से मिल गया है। यानि अब हमारे देश के स्कूल, राज्य सरकार या केंद्र सरकार के बोर्ड को छोड़कर इस विदेशी बोर्ड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा के लिए एफ़िलिऐट हो सकते हैं। पिछले 25 साल में पहली बार भारत सरकार ने किसी विदेशी बोर्ड को भारत में स्कूल एफ़िलिऐट करने की मंज़ूरी दी है। ख़ास बात ये है कि इस बोर्ड में हिंदी की पढ़ाई अनिवार्य नहीं होगी। यानि हिंदी की अनिवार्यता केवल तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारत के स्कूलों में होगी, इस ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड के स्कूल में नहीं... एक और बात। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जिसे शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र की बीजेपी सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानती है, वो कहती है: -भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों को शिक्षा का आधार बनाना है। -प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में शिक्षा का विस्तार हो। -भारत की समृद्ध विविधता और संस्कृति के प्रति सम्मान का भाव स्थापित करना। -प्राचीन भारत के विश्व स्तरीय संस्थानों द्वारा स्थापित अध्यन्न और शोध के मानक से प्रेरित होना। ये सभी आधार स्तंभ हैं मोदी सरकार और बीजेपी द्वारा देश में लागू की जा रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का!! और अब भारतीय संस्कृति के इतने समृद्ध मूल्यों को देश में लागू कौन करेगा? एक विदेशी शिक्षा बोर्ड!! इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि दिल्ली की बीजेपी सरकार भी अपने बड़े इंजन, यानि केंद्र की बीजेपी सरकार के नक्शे कदम पर चले। तभी बीजेपी को दिल्ली में दिल्ली सरकार का बोर्ड ill-logical लगता है, पर अपने ही देश में विदेशी बोर्ड बिल्कुल logical लगता है!!! हक़ीक़त तो ये है कि बीजेपी वालों का सिर्फ भाषण ही स्वदेशी होता है, आचरण तो वही ग़ुलामी वाला ही है…

Comments