The Urban Rishi
The Urban Rishi
May 28, 2025 at 03:25 AM
आदमी उलझा है तेल और नून में उसको मत उलझाइए क़ानून में तब समझ पाओगे तुम मेरा सफ़र छत पे नंगे पाँव चलना जून में डाल ने यूँ टूटकर बदला लिया जीभ फँस के कट गई दातून में सौ दफ़ा पढ़ लो नहीं लिक्खा है वो ढूँढते हैं आप जो मज़मून में तुमसे कब ईमान की उम्मीद थी ख़ुद-परस्ती है तुम्हारे ख़ून में जब तलक साँसें हैं उड़ता है विकास आदमी भी जिस्म के बैलून में Aasif Ali Jardari
❤️ 7

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