
The Urban Rishi
53 subscribers
About The Urban Rishi
Follow for Good Reads...
Similar Channels
Swipe to see more
Posts

मुझे पूरी तरह समझने से पहले तुम्हें किताबों की एक लम्बी फेहरिस्त से गुज़रना चाहिए। तुम्हें पढ़नी चाहिए सबीर हका की दस कविताएँ ताकि तुम्हें इल्म हो कि मुहब्बत में मजदूर होना भी उतना ही ज़रूरी है जितना ज़रूरी है कवि होना । तुम्हें मिलना चाहिए सादिया हसन और उसकी दुनिया से क्यूंकि दंगों की आग में झोंक दिए गए प्रेमपत्र सदियों बाद भी पूरी तरह जल नहीं पाते। तुम्हें अदीब की अदालत में भी जाना चाहिए तब तुम महसूस कर पाओगे कि दुनिया में चीखते चिल्लाते मुर्दों के बीच किसी सलमा की मखमली आवाज़ के मायने क्या हैं ? और 'गुनाहों के देवता' को पढ़ते तुम्हें सोचना चाहिए कि चन्दर ने बेरहमी से सुधा की किस्मत क्यों लिक्खी जबकि वो लिख सकता था उसके लिए एक प्यारी नज़्म। अगर तुम नहीं जानते कि आधी रात को हथेली पर प्रेम लिखना ह्रदय पर प्रेम लिखने जितना ज़रूरी है कि भंडारी मन्नू का सच, दुनिया के तमाम लोगों का सच है । अगर तुम ये सब नहीं जानते, तो फिर तुम मुझे नहीं समझ सकते और हम ज़िंदगी में बहुत दूर तक साथ नहीं चल सकते तब फिर मुझे तुमसे पाश की तरह विदा लेनी होगी दोस्त... और क्यूंकि जाना हिंदी की सबसे खतरनाक क्रिया है। मैं जाते वक़्त तुम्हें दूंगी कुछ किताबें, दो खत और जॉन ऐलिया का एक शेर तुम किताबें पढ़ना, खत जला देना और याद रखना कि आख़िरी मुलाक़ात के ठीक पहले इश्क़ जाविदानी होता है इश्क़ को ज़िंदा रखने के क्रम में बहुत बार आशिक़ों को मर जाना होता है ।। 🔷 ज्योति यादव

मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया { जोश }

आदमी उलझा है तेल और नून में उसको मत उलझाइए क़ानून में तब समझ पाओगे तुम मेरा सफ़र छत पे नंगे पाँव चलना जून में डाल ने यूँ टूटकर बदला लिया जीभ फँस के कट गई दातून में सौ दफ़ा पढ़ लो नहीं लिक्खा है वो ढूँढते हैं आप जो मज़मून में तुमसे कब ईमान की उम्मीद थी ख़ुद-परस्ती है तुम्हारे ख़ून में जब तलक साँसें हैं उड़ता है विकास आदमी भी जिस्म के बैलून में Aasif Ali Jardari

मेरे पिता अक्सर कहा करते हैं कि लिखना उसी भाषा में चाहिए जिसमें व्यक्ति सपने देखता हो। मुझे आज सुबह आभास हुआ कि मैं तुम्हारी भाषा में सपने देखता हूँ। वो भाषा जो न हिंदी है-न अंग्रेजी और न कोई अन्य बोली। तुम्हारी भाषा में मुझे पता चला कुछ बोला और लिखा नहीं जा सकता बस सपने देखे जा सकते हैं।।

भाड़ में जायें जुल्फें तुम्हारी , अब अपना हाल संवारूँगा 👀😶

It is said that before entering the sea a river trembles with fear. She looks back at the path she has traveled, from the peaks of the mountains, the long winding road crossing forests and villages. And in front of her, she sees an ocean so vast, that to enter there seems nothing more than to disappear forever. But there is no other way. The river can not go back. Nobody can go back. To go back is impossible in existence. The river needs to take the risk of entering the ocean because only then will fear disappear, because that’s where the river will know it’s not about disappearing into the ocean, but of becoming the ocean. ~ Kahlil Gibran "on fear"

मसरुफियत में आती है बेहद याद तेरी, फुर्सत में तेरी याद से फुर्सत नहीं मिलती ।।।

“ न तो तू रहा न तो मैं रहा, जो रही सो बेख़बरी रही..”

हर किसी की जरूरत पर नंगे पांव पहुंचे हम, हमारी बारी पर सबके यहां बहुत बारिश हुई।