हिंदू जन कल्याण मंच
June 17, 2025 at 04:49 AM
संघ देखने निकला हूं मैं, संघ मुझे नहीं मिल पाया, मिला मुझे सेवक का परिचय, शाखा में था जो आया, चिंतन करता जीवन मूल्यों का , और संस्कृति सिखलाता , पालन करता अनुशासन का, सच्ची राह है दिखलाता , समय पालना और निरंतर, शाखा में है वो आता , भाषा, प्रांत है भिन्न भिन्न, गणवेश पहन के मुस्काता , राष्ट्र हितैषी, स्वयं समर्पित , और मातृभू का सेवक रहते अर्पित हरदम तत्पर , बन जाता सबका प्रेरक ढूंढ रहा था संघ वहां पर, पर मैं ढूंढ नही पाया स्वस्थ शरीर में स्वस्थ रहे मन, और उत्तम मत भी पाया करे काम सबसे मिल जुलकर , करे न कोई और दूजा हर कार्य है राष्ट्र को अर्पित , जैसे ईश्वर की पूजा रखकर सेवाभाव वो मन में, सेवा करता जाता है राष्ट्र पहुंचेगा परम वैभव पर बस यही गीत वो गाता है संघ बसा है सेवक में या संघ में सेवक रहता है सेवक ही है प्राण संघ के 'भगवा' ओढ़ के रहता है *Vijay hindustani*
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