
All India Congress Seva Dal
June 17, 2025 at 09:05 AM
*मित्र को बचाने साहेब चले यात्रा के बहाने नयी दाल गलाने।*
प्रधानमंत्री मोदी साइप्रस के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर 15-16 जून तक आधिकारिक दौरे पर हैं। यह उनके तीन देशों की यात्रा का हिस्सा है, जिसमें वे 16-17 जून को कनाडा में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और क्रोएशिया भी जाएंगे। इसे डिप्लोमैट यात्रा कहा जा रहा है। कहने को तो यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। इजरायल, ईरान और कुछ समय के लिए लेबनान का हवाई क्षेत्र बंद था, जिसके चलते प्रधानमंत्री के विमान को अरब सागर, सोमालिया, इथियोपिया, इरीट्रिया और मिस्र होते हुए साइप्रस पहुंचना पड़ा।
लेकिन दाल का रंग काला है के पीला, आईये हम आप को समझाए देते हैं।
आपको याद होगा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये ने जिस तरह से खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था और साथ ही भारत पर हमले के लिए पाकिस्तान को ड्रोन मुहैया कराए थे उससे भारत और तुर्किये के संबंधों में खटास आई है। अब मोदी साइप्रस दौरे पर गए हैं और उनका यह दौरा तुर्किये के लिए एक संदेश के तौर पर दीकहाया जा रहा है। क्योंकि तुर्किये और साइप्रस में दुश्मनी है और साल 1974 के बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी नहीं हैं।
लेकिन बात ये भी नहीं है।
तो जैसा की आप सभी को पता होगा की साइप्रस मनी लांड्रिंग की जन्नत कहा जाता है। वहां गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का बड़ा कारोबार और मनी लांड्रिंग का खेल भी चल रहा है। जितना मर्ज़ी उतना पैसा साइप्रस में ब्लैक व्हाइट घूमता है।कोई रोक टोक नहीं है।हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में साइप्रस में अडानी के मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क पर तफ़्सील से लिखा गया था। जब तक हिंडनबर्ग की रिपोर्ट नहीं आई थी तब तक गौतम अडानी ने विनोद अडानी से किसी भी तरह के व्यापारिक रिश्तों से इनकार कर दिया था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बा’द अडानी ने मजबूरन विनोद अडानी के साथ व्यापारिक रिश्तों को क़ुबूल किया था।
यात्रा उस समय हो रही है जब गौतम अडानी के इज़राइल स्थित हाइफ़ा बंदर गाह को ईरान द्वारा ध्वस्त करने की अपुष्ट खबरें आ रही हैं। तब मित्र राष्ट्र साइप्रस में गौतम अडानी जैसे कारोबारी की स्थापना और मजबूती के लिए भी यह यात्रा मायने रखती है। दिनों दिन बढ़ते अमरीकी दबाव से गौतम को मुक्त कराने की दिशा में यह एक पहल भी समझी जा रही है।
वैसे भी हम देखते आए हैं कि साहिब जी की लगभग सभी विदेश यात्राएं अपने कारोबारी प्रगाढ़ मित्र के लिए ही हुई हैं।इस यात्रा का प्रथम उद्देश्य भी यही जान पड़ता है। इसीलिए चर्चाओं में यह शुमार है कि मोदी की जान अडानी में ।अडानी की जान साइप्रस में और मोदी साइप्रस में। बात गहरी है तथा समझने की भी है।
बाकी साथियों ये बात हर जगह पहुंचे इसका ख्याल रखें।
फिर मिलेंगे मोदी पर नयी खोज के साथ।
तब तक के लिए आदाब, सत श्री अकाल , जय सिया राम।।
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