اعزاز العلوم،،داعی شفیع اللہ
اعزاز العلوم،،داعی شفیع اللہ
June 17, 2025 at 11:41 AM
*🔴 ग़ाज़ा के ज़ख़्मों पर इंतक़ाम की पहली मरहम...* "मेरे बच्चे मर रहे थे तो मसरूर थे यहूदी अब जो जल रहे हैं घर इनके, तो राज़ी हुआ हूँ मैं..." ये सिर्फ़ एक शेर नहीं, ग़ाज़ा की वो सिसकती हुई आवाज़ है जो अब दहाड़ बन चुकी है। 2 साल से मासूम बच्चों, औरतों और बुज़ुर्गों पर जो कहर बरपाया गया, जो बम ग़ाज़ा की गलियों में बरसे, अब उसी जुल्म का जवाब मिला है। ईरान की ओर से किए गए हालिया हमलों में जिस तरह इसराइली इलाक़ों में मकान खाक हुए, वही मंज़र ग़ाज़ा के लोगों को एक अजीब सुकून दे गया। क्योंकि जो आग उनके घरों को निगल गई थी, अब उसी आग की तपिश इसराइल भी महसूस कर रहा है। ग़ाज़ा के एक निवासी ने कहा – "हमने कभी जंग नहीं चाही थी, लेकिन अगर हमारे बच्चों के खून से खेलने वालों को दर्द नहीं होगा, तो इंसाफ़ का क्या मतलब रह जाएगा?" आज ग़ाज़ा की तबाही पर चुप रहने वालों के चेहरे बेनकाब हैं, और ज़ुल्म के खिलाफ़ बोलने वालों के लफ़्ज़ों में ताक़त है। ईरान के इस जवाब से पूरी मुस्लिम उम्मत को उम्मीद की एक रौशनी नज़र आई है।

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