Al Quraan Roohani Idara
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                June 17, 2025 at 02:50 PM
                               
                            
                        
                            *23 लाख वर्ग मील पर अमीरुल मोमिनीन, जिन्हें देखकर शैतान रास्ता बदल लेता!* 
*वह जो फारूक अज़म हैं। अब्दुल्लाह बिन शद्दाद कहते हैं कि मैंने पिछली सफों में नमाज़-ए-फ़जर अदा करते हुए सय्यदना उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु की आहें सुनीं, आप यह आयत पढ़ रहे थे: {إِنَّمَا أَشْكُو بَثِّي وَحُزْنِي إِلَى اللَّهِ}*
 *मैं अपने ग़मों और दुखड़ों का रोना अपने अल्लाह ही से रोता हूँ!“ (मुसन्निफ़ इब्न अबी शैबा: 3565)* 
*हम पहले बन्दे के पास जाते हैं वहाँ से ठुकराए जाते हैं फिर अल्लाह के पास जाते हैं... जो सिर्फ़ वक़्त पड़ने पर अल्लाह को याद करता है यह हो सकता है कि वह दोनों*
*सूरतों में फिर ग़ाफ़िल हो जाए। मिल गया तब भी! न मिला तब भी! क्योंकि वह तो सिर्फ़ मतलब के वक़्त ही रुजू करता है। आसानी और सुहूलतों में अल्लाह को याद रखो, वह मुश्किलात और तकलीफ़ों में तुम्हें याद रखेगा।*
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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