_quotedsoul
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May 24, 2025 at 09:03 AM
चुन लेने पर चीज़ें मुश्किल हो जाती हैं तय हो जाती है नीयत और नियति चुनते ही आधा रह जाता है प्रेम आधी बन जाती है घृणा शुरू में सब कुछ पूरा होता है जैसे बच्चे जो नहीं चुनते हमें अचानक साथ हो जाते हैं बाद में कभी आ ही जाती है चुनने की कला आरी की तरह हाथ में जिससे बनाने लगते हैं कभी मेज़ कभी कुल्हाड़ी। अजंता देव
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