_quotedsoul
May 29, 2025 at 02:09 PM
आज फिर बादल बरसा
बहुत जोर जोर से
कुछ रोज पहले
ऐसे ही बरसा था...
जैसे कितने दिनों से
कुछ भरा हुआ
खाली हो रहा हो
सब कुछ एक बार में
कह देना चाहता हो
बहुत टूट कर
खत्म हो जाना चाहता हो
बहुत देर तक
बादल बरसा
किसके लिए?
पता नहीं
मुझे कुछ पता नहीं होता
फिर भी
सवाल हमेशा भीतर रहता है
बहुत देर तक
मैं खड़ी रही
देखती रही
पर
जान न सकी
थोड़ा भी
उसे गले लगा कर
न रो सकी
न रोक सकी
क्यों
पता नहीं
मुझे कुछ पता नहीं होता
बस
सवाल हमेशा भीतर रहता है
- Geet
❤️
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