
'अपनी माटी' पत्रिका
June 16, 2025 at 11:43 AM
आजादी से ठीक पूर्व और आजादी के बाद राजस्थान से ठीक-ठाक संख्या में साहित्यिक पत्रिकाएँ निकालना प्रारंभ हो चुकी थी। इन पत्रिकाओं में धीरे ही सही मगर साहित्यिक आंदोलनों, घटनाओं एवं हिन्दी साहित्य के नव प्रयोगों के उतार-चढ़ाव दर्ज हो रहे थे। अगर राजस्थान से निकलने वाली लघु पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि 1880 से लेकर 2024 तक लगभग 100 से अधिक पत्र-पत्रिकाएँ निकल चुकी हैं।दशकवार भी देखें तो हर दशक में पांच-दस पत्रिकाएँ निकलती रहीं हैं। आज भी राजस्थान से 25 से 30 पत्रिकाएँ नियमित या अनियतकालीन निकल रही हैं ।
प्रारम्भिक पत्रिकाओं में ‘कलाधर’ (सं. मूलचंद भट्ट, पाली, 1949), ‘झरना’(सं. नेमीचंद्र जैन 'भावुक', जोधपुर, 1947), ‘राष्ट्रभाषा’ (सं. हरिप्रसाद शर्मा, जयपुर,1949), 'राष्ट्रवाणी' (सं. रामस्वरूप गर्ग, अजमेर,1949), 'किलकारी' (सं. दीपचन्द्र छंगाणी, जोधपुर,1949), 'साहित्य प्रवाह' (सं. नेमिचन्द जैन 'भावुक',जोधपुर,1950), 'प्रेरणा' ( सं. कोमल कोठारी,जोधपुर,1953), 'मरू भारती' ( सं. कन्हैयालाल सहल,पिलानी,1953) 'नवनिर्माण' (सं. नेमिचन्द जैन 'भावुक',जोधपुर,1953), 'राजस्थान साहित्य' ( सं.जनार्दन राय नागर,उदयपुर,1954), 'परम्परा' (सं.नारायण सिंह भाटी,जोधपुर,1956) आदि उल्लेखनीय नाम हैं।
जब भी इस लघु पत्रिका आन्दोलन में'लहर' पत्रिका का जिक्र आता है तब अजमेर और प्रकाश जैन का नाम उभर कर सामने आता है लेकिन 'लहर' नाम सेपहली पत्रिका जोधपुर से निकली थी।महेंद्र मधुप के अनुसार – “राजस्थान की साहित्यिक पत्रिकाओं का आधुनिक काल जोधपुर से प्रकाशित होने वाली 'लहर' पत्रिका (1950) से होता है। इसके संपादक जगदीश ललवाणी और लक्ष्मीमल सिंघवी थे।”1
आलेख : राजस्थान की साहित्यिक पत्रकारिता और 'लहर' / माधव राठौड़
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