
'अपनी माटी' पत्रिका
June 17, 2025 at 01:43 AM
‘विमर्श’ शब्द अँग्रेजी के ‘डिस्कोर्स’ शब्द का पर्यायवाची है। जिसका अर्थ है- ‘संवाद’, ‘बहस’, ‘विचारों का आदान-प्रदान’ तथा ‘वार्तालाप’। किसी समस्या या स्थिति को पूर्वाग्रह से मुक्त होकर जाँचने-परखने की प्रक्रिया विमर्श है। बीसवीं सदी में ‘वाद’ की लहर ऐसी उमड़ी थी कि हर चीज़ के पीछे ‘वाद’ को जोड़कर देखा जा रहा था, इक्कीसवीं सदी में ‘विमर्श’ शब्द की भी कुछ वैसी ही स्थिति बनी हुई है। स्त्री, दलित, आदिवासी, प्रवासी, पर्यावरण, थर्ड जेंडर, विकलांग, वृद्ध, बाल, किसान, मुस्लिम आदि विमर्श के केंद्र में आए हैं। इनकी छोटी-बड़ी समस्याओं, इनकी अस्तित्व-अस्मिता एवं इनसे जुड़े अहम सवालों को उठाने का कार्य साहित्य की विभिन्न विधाओं द्वारा किया जा रहा है। परिणामत: आज का साहित्य ‘विमर्शों का साहित्य’ की संज्ञा पाने लगा है। साहित्य विमर्श का मतलब है किसी रचना या साहित्य के बारे में गहराई से सोच-विचार करना और उसे समझने की कोशिश करना। साहित्य की अन्य विधाओं के मुक़ाबले जन-जन को आंदोलित एवं प्रेरित करने में कविता की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।
[" शोध आलेख : 21वीं सदी की नेपाली कविता : विमर्शों की दशा एवं दिशा / गोविंद थापा क्षेत्री "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( अंक 57 ) ]
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