PAHAL
PAHAL
May 22, 2025 at 03:37 PM
मातृभाषा का शैक्षिक उपयोग - भूषण छंद जीवन का पहला अक्षर, जिस भाषा का होता स्वर। चित का तार जुड़े हर-पल, बहती है रसधार प्रखर।। लोरी जैसी होती यह, आती ममता भाव निखर। गहते जिससे सोच समझ, भाषाओं का यह रहबर।। आओ सोचें भी इसपर, शिक्षण होता है संबल। भाव- अर्थ को जोड़ सरल, हों पाने में समझ सफल।। दूसरे शब्द सदा सहज, आत्मसात कर सके सरल। समाधान संशय का यह, करते है विद्वान पहल।। किसी विषय का ज्ञान सहज, मातृ-भाषा सिखाती नित। पढ़ते सदा लगाकर मन, होते हैं सब आनंदित।। रटने वाली बात न कर, समझ सदा होती विकसित। शिक्षा में गुणवत्ता भर, रखती बच्चों को हर्षित।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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