PAHAL
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May 27, 2025 at 01:59 AM
वट- सावित्री - दोहें खास अमावस ज्येष्ठ को, मिलता ऐसा योग। पति की रक्षा कर सके, नारी निज उद्योग।।०१।। सती शक्ति भूषण सदा, नारी का सम्मान। जिसके आगे हैं झुकें, कृपा-सिंधु भगवान।।०२।। वट- सावित्री का जहाँ, पूजन शुद्ध विधान। सहज भाव करते वहाँ, शंकर कृपा प्रदान।।०३।। सत्यवान के प्राण को, लेकर यम प्रस्थान। सावित्री पीछे गयी, जहाँ मिली वरदान।।०४।। जीवन पति का मिला, वरद हुआ संतान। जगत ख्याति उसको मिली, सतीत्व बल पहचान।।०५।। कर्म वचन मन से सदा, रखती पति का ध्यान। सतीत्व उसको है मिला, जो दे पति पर जान।।०६।। बरगद द्योतक आयु का, दिखता भी बलवान। गुणकारी है मानकर, पूज रहा इंसान।।०७।। दौर आधुनिक आज है, समझे कुछ नादान। पूजन संस्कृति में सदा, छुपा हुआ विज्ञान।।०८।। नारी ममता खान है, यम से भी बलवान। सतीत्व बल जिसने गहा, झुका दिया आसमान।।०९।। सावित्री सीता कहें, अनसूया पहचान। जिनके सतीत्व का किए, वंदन है भगवान।।१०।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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