
PAHAL
June 1, 2025 at 06:21 AM
बिन बोले रह पाऊँ कैसे - गीत
कहना है कुछ मुझको सबसे।
बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।
करते हैं मनमानी सब क्यों।
कहते हैं एहसान किए ज्यों।।
अपनी हीं बस गाते गाथा।
कहते हैं खुद को जो माथा।।
बिन कारण कुछ बोलें ऐसे।
बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०१।।
खुद का याद रखें जग सारा।
दुनिया की हर बात नकारा।।
कहता है मुझसे यह दुनिया।
हरपल रौब दिखाए दुनिया।।
धमकी देकर बोलें जैसे।
बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०२।।
करना है कुछ काम बड़ा तो।
जग में रहकर नाम बड़ा तो।।
खुद की हरकत देखा जिसने।
बनकर सूरज दमका उसने।।
हरपल चाहत अद्भुत वैसे।
बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०३।।
समझ-समझ कर भी करते हैं।
अपने हीं मद में रहते हैं।।
उनको पल- पल जो बतलाया।
अड़ियल को जिसने समझाया।।
खुद को मार गिराये तैसे।
बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०४।।
उलझन में सिर का दर्द बना।
चुप सहना रहता सदा मना।।
कुछ हमको अब करना होगा।
लगता राह बदलना होगा।।
उनको देकर थोड़े पैसे।
बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०५।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क - 9835232978