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Raah_e_Eiman [راہِ ایمان]
June 10, 2025 at 07:55 AM
✍️ `सवाल:`
*“ईद-ए-ग़दीर” क्या है? मुझे आसान अल्फाज़ में थोड़ा सा बतादें।*
✍️ `जवाब`
रसूलुल्लाह ﷺ के आखिरी हज (हज्जतुल विदा) से वापसी पर (जब कि बहुत से सहाबा ए किराम (र.अ) अपने घरों में जा चुके थे), तो एक *ग़दीर-ए-ख़ुम* के मक़ाम पर कुछ लोगों ने हज़रत अली (र.अ) की शिकायत लगाई,
तो रसूलुल्लाह ﷺ ने उस वक़्त फरमाया कि:
*मन कुंतु मौला फ़हाज़ा अली युन मौला*
जिसका मैं दोस्त, उसका अली दोस्त
क्योंकि जिन लोगों ने शिकायत लगाई थी वहां हज़रत अली (र.अ) मुकर्रर थे।
शिया लोग कहते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने अली (र.अ) को अपना खलीफ़ा (उत्तराधिकारी) मुकर्रर कर दिया ये फरमा कर — जबकि ऐसा नहीं है।
ये पूरी उम्मत-ए-मुस्लिमा का 1400 साल से मुत्तफिक़ा (एग्रीड) अक़ीदा चलता आ रहा है कि *रसूलुल्लाह ﷺ ने किसी को भी खलीफ़ा मुक़र्रर नहीं फरमाया था*। शिया जैसे कहते है कि *ग़दीर-ए-ख़ुम* पर हज़रत अली (र.अ) को खलीफा मुक़र्रर कर दिया, ये शिया झूठ है।
अगर हज़रत अली (र.अ) पहले खलीफा होते तो:
हज़रत अबूबकर (र.अ) की बैअत (समर्थन) क्यों करते?
अगर हज़रत अली (र.अ) पहले खलीफा होते तो रसूलुल्लाह ﷺ की वफात के बाद तमाम सहाबा (र.अ) ने हज़रत अली (र.अ) की बैअत क्यों नहीं की?
क्या हज़रत अली (र.अ) ने कभी कहा कि "मैं असली खलीफ़ा हूँ"?
क्या हज़रत हसन (र.अ) या हज़रत हुसैन (र.अ) ने कभी कहा कि "हमारे पिता (वालिद) पहले खलीफ़ा थे"?
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