Raah_e_Eiman [راہِ ایمان]
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June 17, 2025 at 11:34 AM
*‼️दज्जाल, इस्फहान के यहूदी, राफ़िदी (शिया फ़िर्क़े के ग़ाली ग्रुप) और फितनों से मुतल्लिक बातें की गई हैं, जो तारीखी हवालों और उलेमा के कौलो पर बेस्ड हैं:* *यहूद, ईरान, अत-तयालिसा (शॉल या पगड़ी जैसा कपड़ा)* *रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:* “दज्जाल की पैरवी इस्फहान के यहूदियों में से सत्तर हज़ार लोग करेंगे, जिन पर तयालिसा होंगे।” (सहीह मुस्लिम) *इस्फहान:* यह ईरान का एक प्रसिद्ध शहर है। *अत-तयालिसा:* "तीलसान" का बहुवचन (प्लूरल) है, जो कि एक तरह का शॉल या कपड़ा होता है जो सिर या कंधों पर रखा जाता है (जैसा कि साथ दी गई तस्वीर में दिखाया गया है)। आज के दौर में यहूदी, खास तौर से ऑर्थोडॉक्स समुदाय, "तेफिलीन" (Tefillin) का इस्तेमाल करते हैं: * एक छोटा काला डब्बा जो माथे पर बांधा जाता है। * दूसरा डब्बा बाएं बाजू पर दिल के पास बांधा जाता है। * इन डब्बों में तोरात की आयतें लिखी होती हैं, ताकि वे उन आयतों को याद रखें, और बरकत व हिफाज़त के लिए। यह अमल तोरात की इस आयत पर बेस्ड है: *“और तू इसे अपने हाथ पर चिन्ह के रूप में बाँध, और यह तेरी आँखों के बीच पट्टी के रूप में हो।”* (तोरात, अस्तस्ना 6:8) *बुखारी शरीफ़ की हदीस:* *हज़रत इब्न उमर (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ मिंबर के पास खड़े होकर फ़रमाते थे:* “फ़ितना यहाँ से आएगा, फ़ितना यहाँ से आएगा, जहाँ से शैतान का सींग या सूरज उगता है।” *अबू बक्र सिद्दीक़ (रज़ि.) से रिवायत:* रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “दज्जाल पूरब की एक ज़मीन से निकलेगा जिसे खुरासान कहा जाता है। उसके साथ ऐसे लोग होंगे जिनके चेहरे हथौड़े जैसी चमकदार ढालों की तरह होंगे।” (सहीह तिर्मिज़ी, हदीस संख्या: 2237, इसे अल्बानी ने सहीह कहा) *तब्सिरा:* फ़ितनों की सरज़मीन (यानी ईरान और उसके आसपास) ने कभी भी दीन के लिए जंग नहीं लड़ी, बल्कि हमेशा इस्लाम के खिलाफ साज़िशों में शरीक रहे। यहूद और राफ़िदी (शिया के चरमपंथी ग्रुप्स) आपस में भी एक-दूसरे के लिए खतरा हैं, और अल्लाह तआला ने उनके बीच सख़्त दुश्मनी रखी है। *शैख़ुल-इस्लाम इब्न तैमिय्या रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:* * “राफ़िदी (शिया) ईसाईयों (सलीबियों) के ज़रिए बैतुल मुक़द्दस पर क़ब्ज़ा करने की एक बड़ी वजह थे, जब तक कि मुसलमानों ने उसे दोबारा आज़ाद नहीं करवाया।” *(मिन्हाज अस-सुन्ना अन-नबविय्या 7/414)* * “राफ़िदियों (शियाओ) की यहूदियों से मदद मशहूर है, यहाँ तक कि लोग उन्हें यहूदियों के लिए गधे की तरह समझते थे।” *(मिन्हाज अस-सुन्ना 1/21)* * “बग़दाद के राफ़िदी वज़ीर इब्न अल-अलक़मी ने मुसलमानों के साथ दग़ाबाज़ी की, तातारियों (मंगोलों) से मिलीभगत की, और उन्हें धोखे से इराक़ में दाख़िल किया, यहाँ तक कि उन्होंने बग़दाद को तबाह कर दिया।” * “राफ़िदी जिसके साथ भी रहते है, मुनाफ़िक़त के साथ पेश आते है। उनका दिल फासिद अकीदे से भरा होता है जो उसे झूठ, दग़ाबाज़ी, धोखा और शर फैलाने पर उकसाते है। वह किसी बुराई को नहीं छोड़ते जब तक कि उसे पूरा न कर ले।” *(मिन्हाज अस-सुन्ना 6/425)* *अल्लामा इब्न कसीर रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:* “यह बात मालूम है कि क़रामिता (शिया का एक गुमराह फ़िर्क़ा) यहूदियों, ईसाइयों और मजूसियों से भी बदतर थे, बल्कि मूर्तिपूजा करने वालों (मुशरिको) से भी बदतर, और उन्होंने मक्का में वो किया जो किसी ने नहीं किया।” *(अल-बिदायह वान-निहायह, जिल्द 1, पृष्ठ 183)* नोट: यह तमाम हवाले कॉपी किए हुए हैं और अहल-ए-सुन्नत के मोतबर स्रोतों से लिए गए हैं, जिनमें राफ़िदियों और यहूद की साज़िशों का ज़िक्र किया गया है। ______________________________ *Follow Channel👇* https://whatsapp.com/channel/0029VaXBomMKGGGGFTl0Ci2F
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