
she'r-o-suKHan
June 2, 2025 at 03:59 AM
फुलाँ से देखो फ़लाने की बात करता है
ये आइना तो लड़ाने की बात करता है
*उसे मैं हाल सुनाने को फ़ोन करता हूँ*
*वो मुझ से शे'र सुनाने की बात करता है*
ये दश्त उस को भला किस तरह मुआ'फ़ करे
उसे जो छोड़ के जाने की बात करता है
*यहाँ उसी को ही पागल क़रार देते है*
*यहाँ ज़रा जो ठिकाने की बात करता है*
उसे बिलाल की अज़्मत का कोई इल्म नहीं
जो अपने ऊँचे घराने की बात करता है
*— सय्यद सरोश आसिफ़*
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