
she'r-o-suKHan
June 8, 2025 at 07:19 AM
बादल इस बार छतों पर नहीं छाने वाले
मुब्तला हैं कहीं बारिश में नहाने वाले
अब मोहल्ले में वो बे-फ़िक्र सी लड़की भी नहीं
जिसको आते थे हुनर इश्क़ जताने वाले
देख सकते हैं उसे छोड़ के जाते तो ये सुन
हम ज़माने तेरे पीछे नहीं आने वाले
*उसका दुख देख के थोड़ी सी जलन होती है*
*जिस किसी को भी मयस्सर हैं रुलाने वाले*
किसे फ़ुरसत है निरे इश्क़ में रम जाने की
कौन सुनता है यहाँ गाने पुराने वाले
*क़िस्मत ऐसी है कि पत्ता नहीं हिलता 'मोहित'*
*हौसले फिर भी हैं दुनिया को हिलाने वाले*
*— मोहित दीक्षित*
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