she'r-o-suKHan
she'r-o-suKHan
June 17, 2025 at 04:01 PM
*इतना मजबूर न कर बात बनाने लग जाए* *हम तेरे सर की क़सम झूठ ही खाने लग जाए* इतने सन्नाटे पिए मेरी समा'अत ने कि अब सिर्फ़ आवाज़ पे चाहूँ तो निशाने लग‌ जाए मैं अगर अपनी जवानी के सुना दूँ क़िस्से ये जो लौंडे हैं मेरे पाँव दबाने लग जाए *— Mehshar Afridi*
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