
she'r-o-suKHan
June 18, 2025 at 05:11 AM
*बस इतनी बात पर उसने हमें बलवाई¹ लिक्खा है*
*हमारे घर के बरतन पे आई.एस.आई² लिक्खा है*
```¹ उपद्रवी```
```² मार्क (भारत),इंटेलीजेंस सेवा (पाकिस्तान)```
यह मुमकिन ही नहीं छेड़ूँ न तुझको रास्ता चलते
तुझे ऐ मौत मैंने उम्र भर भौजाई लिक्खा है
मियाँ मसनद नशीनी मुफ़्त में कब हाथ आती है
दही को दूध लिक्खा दूध को बालाई लिक्खा है
कई दिन हो गए सल्फ़ास खा कर मरने वाली को
मगर उसकी हथेली पर अभी शहनाई लिक्खा है
*हमारे मुल्क में इन्सान अब घर में नहीं रहते*
*कहीं हिन्दू कहीं मुस्लिम कहीं ईसाई लिक्खा है*
यह दुख शायद हमारी ज़िन्दगी के साथ जाएगा
कि जो दिल पर लगा है तीर उसपर भाई लिक्खा है
*— मुनव्वर राना*
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