अमृत कथा
June 18, 2025 at 02:57 AM
*अमृत कथा* *"वृंदावन रज का चमत्कार"* श्री वृंदावन में एक विरक्त संत रहते थे जिनका नाम था पूज्य श्री सेवादास जी महाराज। श्री सेवादास जी महाराज ने अपने जीवन मे किसी भी वस्तु का संग्रह नही किया। एक लंगोटी, कमंडल, माला और श्री शालिग्राम जी इतना ही साथ रखते थे। एक छोटी सी कुटिया बना रखी थी जिसमे एक बड़ा ही सुंदर संदूक रखा हुआ था। संत जी बहुत कम ही कुटिया के भीतर बैठकर भजन करते थे, अपना अधिकतम समय वृक्ष के नीचे भजन मे व्यतीत करते थे। यदि कोई संत आ जाये तो कुटिया के भीतर उनका आसान लगा देते थे। एक समय वहाँ एक बदमाश व्यक्ति आया और उसकी दृष्टि कुटिया के भीतर रखी उस सुंदर संदुक पर पडी। उसने सोचा कि अवश्य ही महात्मा को कोई खजाना प्राप्त हुआ होगा जिसे यहाँ छुपा रखा है। महात्मा को धन का क्या काम ? मौका पाते ही इसे चुरा लूँगा । एक दिन बाबाजी कुटिया के पीछे भजन कर रहे थे। अवसर पाकर उस चोर ने कुटिया के भीतर प्रवेश किया और संदुक को तोड़ मरोड़ कर खोला। उस संदुक के भीतर एक और छोटी संदुक रखी थी। चोर ने उस संदुक को भी खोला तब देखा कि उसके भीतर भी एक और छोटी संदुक रखी है। ऐसा करते-करते उसे कई संदुक प्राप्त हुए और अंत मे एक छोटी संदुक उसे प्राप्त हुई। उसने वह संदुक खोली और देखकर बड़ा दु:खी हो गया। उसमे केवल मिट्टी रखी थी। अत्यंत दु:ख में भरकर वह कुटिया के बाहर निकल ही रहा था की उस समय श्री सेवादास जी वहाँ पर आ गए। श्री सेवादास जी ने चोर से कहा- तुम इतने दुखी क्यों हो ? चोर ने कहा- इनती सुंदर संदुक मे कोई क्या मिट्टी भरकर रखता है ? बड़े अजीब महात्मा हो। श्री सेवादास जी बोले- अत्यंतर श्रेष्ठ मूल्यवान वस्तु को संदुक मे ही रखना तो उचित है। चोर बोला- ये मिट्टी कौन सी मूल्यवान वस्तु है ? बाबा बोले- ये कोई साधारण मिट्टी नही है, यह तो पवित्र श्री वृंदावन रज है। यहाँ की रज के प्रताप से अनेक संतो ने भगवान् श्री कृष्ण को प्राप्त किया है। यह रज प्राप्त करने के लिए देवता भी ललचाते हैं। यहाँ की रज को श्रीकृष्ण के चरणकमलों का स्पर्श प्राप्त है। श्रीकृष्ण ने तो इस रज को अपनी श्रीमुख में रखा है। चोर को बाबा की बात कुछ अधिक समझ नही आयी और वह कुटिया से बाहर जाने लगा। बाबा ने कहा- सुनो ! इतना कष्ट करके खाली हाथ जा रहे हो, मेहनत का फल भी तो तुम्हें मिलना चाहिए। चोर ने कहा- क्यों हँसी मजाक करते हैं, आप के पास देने के लिए है भी क्या ? श्री सेवादास जी कहने लगे- मेरे पास तो देने के लिए कुछ है नही परंतु इस ब्रज रज में सब कुछ प्रदान करने की सामर्थ्य है..!! *🙏🏽🙏🏿🙏जय श्री कृष्ण*🙏🏻🙏🏾🙏🏼 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42
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