अमृत कथा
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भगवान
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*मिल गया कैंसर के महामारी के रूप में फैलने का कारण!! और वह है साबुन और डिटर्जेंट का अंधा प्रयोग,, बर्तनों की भी सफाई और आपकी जिंदगी की भी सफाई तुरंत जागो.!.!*
गुरु जी ने बताया की,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ यह शरीर मिला है,घर मिला है, गाड़ी मिली है चलाने को तो इनका रखरखाव भी जरूरी होता है सफाई भी जरूरी है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ रसोई में खाना बनाएं और रसोई बंद करके आ जाए ऐसे थोड़ी होता है भोजन का वितरण भी करना है सब की भूख भी मिटानी है ऐसे ही ज्ञान सुनकर बैठ नहीं जाना है उसको जीवन में लगाना भी है,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ बना हुआ भोजन खिलाया नहीं जाएगा तो वेस्ट हो जाएगा ऐसे ही हमारे पास जो कुछ भी है प्रेम, धन, ज्ञान बांटते चले,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ गुरु ज्ञान से अपना और सर्वे का उद्धार हो ऐसा जीवन बनाना है,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ अपने मन और इंद्रियों को समेट कर रखना है जैसे कछुआ अपने अंग समेटकर कर रखता है ज्ञानी भी जब जिस इन्द्रिय की जरूरत होती जैसे हाथ,, पैर, मुख वाणी इस्तेमाल करके फिर शांत होकर बैठ जाता है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ गांधी जी ने अपनी जेल यात्रा को भी तीर्थ यात्रा बना दिया था ज्ञानी भी जहां बैठा होता है वहीं से अपनी आत्मा की उन्नति में लगा रहता है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ ज्ञानी का मन उसके वश में होता है तभी वह अपनी इंद्रियों को समेट कर रखता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ गुरु की मत लेकर अपनी मत को सुमत बनाकर विवेक रुपी जीवन जीना है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ जब हम बिना किसी को जताये प्रेम, सम्मान, पदार्थ देते हैं वह यज्ञ हो जाता है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ जब गलत खाना नहीं खाते तो गलत संगति क्यों करते हैं? जैसे हमारा सँग होता वैसा हमारा रंग भी हो जाता है तो हम देखे हमारा सँग कैसा है,,,,,,,,,,,,,,, ☘️शुक्राने सतगुरु जी के, हरि ॐ,,,,,,,,,,,,,,,,,
*🌞सुप्रभातम🌞* जय महेश *🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳* दिनांक २० जून २०२५ दिन शुक्रवार विक्रमी संवत २०८२ शक संवत १९४७ सूर्य उत्तरायण दक्षिणगोल ग्रीष्म ऋतु आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष नवमी तिथि ०९:४९ तक फिर दशमी तिथि रेवती नक्षत्र २१:४४ तक फिर अश्विनी नक्षत्र शोभन योग २३:४६ तक फिर अतिगण्ड योग मीन राशि में चन्द्रमा २१:४४ तक फिर मेष राशि में *आज का सुविचार* *अपनों का साथ बहुत आवश्यक हैं"..!!* *सुख है तो बढ़ जाता है और दुःख है तो बंट जाता हैं"..!!* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*🌞सुप्रभातम🌞* जय महेश *🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳* दिनांक २९ मई २०२५ दिन गुरुवार विक्रमी संवत २०८२ शक संवत १९४७ सूर्य उत्तरायण दक्षिणगोल ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि २३:१८ तक फिर चतुर्थी तिथि आर्द्रा नक्षत्र २२:३८ तक फिर पुनर्वसु नक्षत्र शूल योग १५:४६ तक फिर गण्ड योग मिथुन राशि में चन्द्रमा *आज का सुविचार* *सकारात्मक विचारों से मनुष्य के व्यक्तित्व का नवनिर्माण होता है।* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️किल विथ काईंड नेस ,, मतलब किसी को भी कुछ समझाना है तो प्रेम से समझाएं,,,,,,,,,,,,,,। ☘️बदला लेने का सुख एक पल का माफ करने का सुख हमेशां का,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️प्यास लगने से पहले पानी इकट्ठा करना समझदारी है ऐसे ही परिस्थिति आने से पहले ज्ञान इकट्ठा कर लेना है,,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️सबको उनकी गलतियों के लिए माफ़ करके भूल जाना है कि मैंने माफ किया,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️कर्मो की गति बलवान होती है , भोगकर ही छूट पाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️राजा हरिश्चन्द्र को श्मशान का काम करना पड़ा ,, कर्मो की वजह से,,,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️भगवान जी की वस्तुओं से बहुत प्यार किया अब भगवान जी से भी तो प्यार करके दिखाएं,,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️मूर्ति कितना सहती है तब जाकर पूजनीय बनती है ऐसे ही हमें भी अगर पूजनीय बन ना है तो कुछ तो सहना पड़ेगा,,,,,,,,,,,,,,,। ☘️शुक्राने सतगुरु जी के , हरि ॐ,,,,,,,,,,,,,,,,।
*अमृत कथा* *श्री कृष्ण लीला* ========== एक दिन माता यशोदा दही मथकर माखन निकाल रहीं थीं। अचानक मां को आनन्द देने के लिए बलराम और श्याम उनके निकट पहुंच गए। . कन्हैया ने मां की चोटी पकड़ ली और बलराम ने मोतियों की माला- दोनों मां को अपनी तरफ खींचने का प्रयास करने लगे। . बलराम कहते थे, मां तुम पहले मेरी सुनों ! और कन्हैया कहते थे कि नहीं, मां तुम्हे पहले मेरी सुननी पड़ेगी। . मैया ! मुझे भूख लगी है। भूख से मेरा बुरा हाल है। चलो ना जल्दी से मुझे माखन रोटी दे दो। . यशोदा जी ने कहा- बेटा, दूध पी लो या घर में अनेक प्रकार के पकवान बने है जो तुम्हारी इच्छा हो खा लो। . कन्हैया ने कहा- नहीं, मै तो केवल माखन रोटी ही खाऊंगा। मेवा पकवान मुझे अच्छे नहीं लगते। जब तक तुम मुझे माखन नहीं दे दोगी तब तक मै तुम्हारी चोटी खीचता ही रहूंगा। . मां ने कहा- कन्हैया अगर तू माखन खायेगा तो तेरी यह चोटी छोटी रह जाएगी, कभी नहीं बढ़ेगी। . कन्हैया ने कहा- मां, तुम दाऊ भैया को तो कभी मना नहीं करती , वह जब भी मांगते है तुम उन्हे माखन रोटी दे देती हो। मुझे क्यों नहीं दे रहीं हो ? . मां ने कहा- कान्हा देखो, पहले मै दाउ को भी माखन रोटी नहीं देती थी, वह भी मेवा पकवान खाता था और दूध पीता था, तभी तो उसकी चोटी लंबी- चौड़ी है। . यदि तुम भी दूध पीओगे तो तुम्हारी भी चोटी लंबी हो जाएगी। जाओ मेरे लाल अच्छे बच्चे जिद नहीं करते। . कान्हा ने कहा- मां तुम झूठ बोलती हो, कितनी बार मैने दूध पिया है पर मेरी चोटी अब तक नहीं बढ़ी। आज तुम्हारा बहाना नहीं चल सकता। तुम्हें मुझे माखन रोटी देनी ही पड़ेगी। . मैया ने कहा- कान्हा दाउ अब बड़ा हो गया है। इसने तुमसे अधिक दिनों तक दूध पिया है। इसलिए दाउ की चोटी बढ़ गयी, जब तुम भी उतने ही दिनों तक दूध पी लोगे तब तुम्हारी भी चोटी बढ़ जाएगी। . कन्हैया ने कहा- मैया मै यह सब नहीं सुनूंगा। तुम साफ-साफ बताओ मुझे माखन रोटी देती हो कि नहीं, . यदि तुम मुझे माखन रोटी नहीं दोगी तो, जाओं मै तुमसे बात नहीं करूंगा। ना ही तुम्हारी गोदी में आऊंगा। अब दाऊ भैया ही तुम्हारे पुत्र है, मै भला तुम्हारा क्या लगता हूं। . माता यशोदा ने कहा- कान्हा तू तो मेरा प्राण है मै भला तेरे बिना कैसे रह सकती हूं। . मेरे नन्हे लाल मै तेरी बलैया लेती हूं। तनिक रूको। मुझे माखन तो निकाल लेने दो, फिर तुम्हे जितना माखन चाहिए ले लेना। . इस प्रकार माता यशोदा की आंखों से प्रेमाश्रु छलक पड़े। . यशोदा मैया धन्य हैं। त्रिभुवन का भरण पोषण करने वाले प्रभु माखन के लिए बार-बार उनके आगे हाथ फैलाते है। यशोदा मैया से बड़ा सौभाग्य भला किसका होगा..!! *🙏🏽🙏🏻🙏🏼जय श्री कृष्ण*🙏🙏🏾🙏🏿 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42
*अमृत कथा* *एक गिलास पानी..* सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ था, वह तल्ख़ मिजाज़ का था और सभी से तेज स्वर में बात कर रहा था। उस समय भी एक महिला को डांटते हुए वह कह रहा था, "आपको ज़रा भी पता नहीं चलता, यह फॉर्म भर कर लायीं हैं, कुछ भी सही नहीं है। सरकार ने फॉर्म फ्री कर रखा है तो कुछ भी भर दो, जेब का पैसा लगता तो दस लोगों से पूछ कर भरतीं आप।" एक व्यक्ति पंक्ति में पीछे खड़ा काफी देर से यह देख रहा था, वह पंक्ति से बाहर निकल कर, पीछे के रास्ते से उस क्लर्क के पास जाकर खड़ा हो गया और वहीं रखे मटके से पानी का एक गिलास भरकर उस क्लर्क की तरफ बढ़ा दिया। क्लर्क ने उस व्यक्ति की तरफ आँखें तरेर कर देखा और गर्दन उचका कर 'क्या है?' का इशारा किया। उस व्यक्ति ने कहा, "सर, काफी देर से आप बोल रहे हैं, गला सूख गया होगा, पानी पी लीजिये।" क्लर्क ने पानी का गिलास हाथ में ले लिया और उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे किसी दूसरे ग्रह के प्राणी को देख लिया हो! और कहा, "जानते हो, मैं कड़वा सच बोलता हूँ, इसलिए सब नाराज़ रहते हैं, चपरासी मुझे पानी तक नहीं पिलाता!" वह व्यक्ति मुस्कुरा दिया और फिर पंक्ति में अपने स्थान पर जाकर खड़ा हो गया। अब उस क्लर्क का मिजाज बदल चुका था, काफी शांत मन से उसने सभी से बात की और सबको अच्छे से सेवाएं देनी शुरू की। शाम को उस व्यक्ति के पास एक फ़ोन आया, दूसरी तरफ वही क्लर्क था, उसने कहा, "भाई साहब, आपका नंबर आपके फॉर्म से लिया था, धन्यवाद देने के लिये फ़ोन किया है। मेरी माँ और पत्नी में बिल्कुल नहीं बनती, आज भी जब मैं घर पहुंचा तो दोनों बहस कर रहीं थी, लेकिन आपका गुरुमंत्र काम आ गया।" वह व्यक्ति चौंका, और कहा, "जी? गुरुमंत्र?" "जी हाँ, मैंने एक गिलास पानी अपनी माँ को दिया और दूसरा अपनी पत्नी को और यह कहा कि गला सूख रहा होगा पानी पी लो। बस तब से हम तीनों हँसते-खेलते बातें कर रहे हैं। अब भाई साहब, आप आज हमारे घर पर खाने पर आइये।" "जी! लेकिन, खाने पर क्यों?" क्लर्क ने भर्राये हुए स्वर में उत्तर दिया, "गुरू माना है तो इतनी दक्षिणा तो बनेगी ना आपकी और ये भी जानना चाहता हूँ, एक गिलास पानी में इतना जादू है तो खाने में कितना होगा?" दूसरों के क्रोध को प्यार से ही दूर किया जा सकता है। कभी-कभी हमारे एक छोटे से प्यार भरे बर्ताव से दूसरे इंसान में बहुत बड़ा परिवर्तन हो जाता है और प्यार भरे रिश्तों की एकाएक शुरूआत होने लगती है जिससे घर और कार्यस्थल पर मन को आराम चैन मिलता है..!! *🙏🏽🙏🙏🏿जय श्री कृष्ण*🙏🏾🙏🏼🙏🏻 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42
गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,,,,,,,, 🍃जब मुहं से " मैं " निकले तो समझो भगवान जी बोल रहे है,,,,,,,,,,,,,,। 🍃संसार प्रयोगशाला है , सत्संग है पाठशाला,,,,,,,,,,,,,,। 🍃किसी के पीछे चलना नहीं पर सीखना सबसे है,,,,,,,,,,,,,,। 🍃प्रेम ही हमें मुक्ति की और ले जाता है,,,,,,,,,,,,,,। 🍃मन की नहीं गुरु की सुन ना है,,,,,,,,,,,,,,,। 🍃भगवान जी का बच्चा होने का मतलब उनकी विशेषताओं में शामिल होना,,,,,,,,,,,,,,। 🍃ना पिछली बातें याद करनी है ना ही भविष्य की चिंता करनी है , अपने आज में खुश रहना है,,,,,,,,,,,,,,। 🍃हर समस्या में स्वयंम के आचरण को देखना है,,,,,,,,,,,,,। 🍃लव ऑल अलाइक ,,,, क्योंकि किसी एक से प्रेम हमारे बंधन का कारण बनता है,,,,,,,,,,,,,,। 🍃शुक्राने सतगुरु जी के , हरि ॐ,,,,,,,,,,,,,,,।
*🌞सुप्रभातम🌞* जय महेश *🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳* दिनांक ३० मई २०२५ दिन शुक्रवार विक्रमी संवत २०८२ शक संवत १९४७ सूर्य उत्तरायण दक्षिणगोल ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि २१:२२ तक फिर पंचमी तिथि पुनर्वसु नक्षत्र २१:२८ तक फिर पुष्य नक्षत्र गण्ड योग १२:५६ तक फिर वृद्धि योग मिथुन राशि में चन्द्रमा १५:४२ तक फिर कन्या राशि में *आज का सुविचार* *“ज्ञानी” और “अज्ञानी” दोनों को ही समझाया जा सकता है* *परन्तु “अभिमानी” को वक्त के अतिरिक्त कोई नहीं समझा सकता है.* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻