अमृत कथा

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अमृत कथा
2/24/2025, 2:23:09 AM

राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन ॥ 24 - 02 - 2025 🪷 || भाग्य निर्माता बनें || 🪷 🕉️ किसी महापुरुष ने कहा है कि किस्मत से मिलता अवश्य है लेकिन केवल उतना, मेहनत करने वाले जितना छोड़ देते हैं। मेहनत की अपेक्षा केवल किस्मत में ज्यादा विश्वास रखने से जीवन में कुछ श्रेष्ठ की प्राप्ति नहीं की जा सकती है। किसी की शानदार कोठी देखकर कई लोग कह उठते हैं कि काश अपनी किस्मत भी ऐसी होती लेकिन वे लोग यह भूल जाते हैं कि ये शानदार कोठी, शानदार गाड़ी किसी को भी केवल किस्मत ने ही नहीं दी अपितु इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत भी रही है। 🕉️ यद्यपि जीवन में किस्मत का भी अपना महत्व है। ये भी कहना उचित नहीं कि किस्मत का कोई स्थान ही नहीं, कोई महत्व ही नहीं। मेहनत करने के बाद किस्मत पर आश रखी जा सकती है लेकिन खाली किस्मत के भरोसे सफलता प्राप्त करने से बढ़कर कोई दूसरी नासमझी नहीं हो सकती है। जीवन में एक बात अवश्य याद रखना कि पुरुषार्थ ही श्रेष्ठ भाग्य का निर्माणकर्ता भी होता है। 🇮🇳🌹🙏🏻 *🕉️ नमः शिवाय*🙏🏻🌹🇮🇳

अमृत कथा
2/24/2025, 2:21:23 AM

*🌞सुप्रभातम🌞* जय महेश *🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳* दिनांक २४ फरवरी २०२५ दिन सोमवार विक्रमी संवत २०८१ शक संवत १९४६ सूर्य उत्तरायण दक्षिणगोल बसंत ऋतु फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि १३:४५ तक फिर द्वादशी तिथि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र १८:५८ तक फिर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र सिद्धि योग १०:०४ तक फिर व्यतिपात योग धनु राशि में चन्द्रमा २४:५५ तक फिर मकर राशि में *विजया एकादशी व्रत* *आज का सुविचार* *समर्थन और विरोध केवल विचारों का होना चाहिये..किसी व्यक्ति का नहीं..क्योंकि अच्छा व्यक्ति भी गलत विचार रख सकता है..और किसी बुरे व्यक्ति का भी कोई विचार सही हो सकता है* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

अमृत कथा
2/24/2025, 2:31:18 AM

*अमृत कथा* *🌹🕉️सुलोचना को श्राप🌹* *एक बार लक्ष्मी माता ने शेषनाग को कसकर श्री हरि की कलाई पर बांध दिया , जिससे उनके नेत्र से दो अश्रु निकल पड़े और उन दो आंसू की बूंदों से दो सुंदर कन्याएं उत्पन्न हुई। उनमें पहली कन्या का नाम सुनयना और दूसरी कन्या का नाम सुलोचना रखा गया।* *सुनयना का विवाह मिथिला राज्य के राजा जनक से किया गया। सुलोचना का विवाह देवराज इन्द्र के पुत्र जयंत से निश्चित हुआ। लेकिन जब सुलोचना को पता चला कि असुरों के सम्राट रावण के पुत्र मेघनाद ने इन्द्र और उनके पुत्र जयंत को हरा दिया है तो सुलोचना को मन ही मन मेघनाद से प्रेम हो गया और मेघनाद भी सुलोचना के सौंदर्य पर मुग्ध हो गया और दोनों ने विवाह कर लिया।* *जब नागराज शेषनाग को ये बात पता चली तो उन्होंने सुलोचना को क्रोधित होकर ये श्राप दिया कि "तुमने जिस अधर्मी को अपना पति चुना है उसका वध त्रेतायुग में मेरे ही हाथों होगा"। इसी श्राप के कारण मेघनाद का वध शेषनाग ने लक्ष्मण का रूप धरकर किया। शूर्पणखा की नाक शेषनाग के अवतार लक्ष्मण जी द्वारा काटी गई जिससे उसके भाई रावण ने भगवान राम की पत्नी सीता का हरण कर लिया।* *सीता माता को छुड़ाने के लिये प्रभु राम लंका पहुंचे और वहाँ युद्ध छिड़ गया। इसी दौरान लक्ष्मण जी के द्वारा रावण पुत्र मेघनाद का वध हो गया। वध के पश्चात मेघनाद का हाथ सुलोचना के समक्ष आकर गिरा। सुलोचना ने सोचा कि पता नहीं यह उसके पति की भुजा है भी या नहीं ! अतः उसने कहा - "अगर तुम मेरे पति की भुजा हो तो लेखनी से युद्ध का सारा वृत्तांत लिखो।* *हाथ ने लिखा "प्रिये ! हाँ यह मेरा ही हाथ है। मेरी परम् गति प्रभु राम के अनुज महा तेजस्वी तथा दैवीय शक्तियों के धनी श्री लक्ष्मण के हाथों हो गई है। मेरा शीश श्रीराम के पास सुरक्षित है। मेरा शीश पवनपुत्र हनुमान जी ने रामचंद्र के चरणों पर रखकर मुझे सद्गति प्रदान कर दी है। वृतांत पढ़ कर वह प्रभु श्री राम के पास गई और उनकी प्रार्थना करने लगी।* *श्रीराम जी उन्हें देखकर उनके समक्ष गए और कहा - "हे देवी ! आपसे मैं प्रसन्न हूँ , आप बड़ी ही पतिव्रता हैं , जिसके कारण ही आपका पति पराक्रमवान था। आप कृपया अपना उपलक्ष्य कहें।" सुलोचना ने कहा - "राघवेंद्र ! आप तो हर बात से अवगत हैं। मैं अपने पति के साथ सती होना चाहती हूँ और आपसे उनका शीश देने का आग्रह कर रही हूँ।" रामचंद्र जी ने मेघनाद का शीश उन्हें सौप दिया।* *सुलोचना ने लक्ष्मण को कहा "भ्राता ! आप यह मत समझना कि आपने मेरे पति को मारा है। उनका वध करने का पराक्रम किसी में नहीं। यह तो आपकी पत्नी के सतीत्व की शक्ति है। अंतर मात्र इतना है कि मेरे स्वामी ने असत्य का साथ दिया।" वानरगणों ने पूछा कि आपको यह किसने बताया कि मेघनाद का शीश हमारे पास है ? सुलोचना ने कहा - "मुझे स्वामी के हाथ ने बताया।"* *इस बात पर वानर हँसने लगे और कहा कि ऐसे में तो यह कटा सर भी बात करेगा। सुलोचना ने प्रार्थना की कि अगर उसका पतिव्रत धर्म बना हुआ हो तो वह सर हँसने लगे और मेघनाद का सर हँसने लगा। ऐसे दृश्य को देख सबने सुलोचना के पतिव्रत का सम्मान किया। सुलोचना ने चंदन की शैया पर अपने पति के शीश को गोद में रखकर अपनी आहुति दे दी..!!* *🙏🏻🙏🏼🙏जय श्री कृष्ण*🙏🏾🙏🏿🙏🏽 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42

🙏 ❤️ 7
अमृत कथा
2/24/2025, 2:28:32 AM

*अमृत कलश* 🙏🙏 *"शिवरात्रि-महापर्व का महात्म्य"*🙏🙏 *माता पार्वती नें भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त के लिए कठोर तपस्या की थी।* *शिव पुराण के मुताबिक, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर "देवों के देव महादेवजी" ने फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को उनसे विवाह किया।* *इसलिए इस दिन को "शिव और शक्ति" के मिलन का शुभ दिन माना जाता है।* *पौराणिक कथाओं में यह भी प्रचलित है कि शिवजी नें इसी दिन वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था और माता पार्वती से विवाह किया था।* *इसी कारण से इस तिथि पर "महा शिवरात्रि का पर्व" मनाया जाता है।* *इस दिन की विशेषताएं:* *इस दिन भगवान शिव की विशेष "पूजा-आराधना" की जाती है, भगवान शिव का विशेष "अभिषेक" किया जाता है तथा भगवान शिव की "बारात" भी निकाली जाती है।* *इस दिन "शिव कृपा" पाने के लिये व्रत किया जाता है।* *इस दिन पूजा कर, रात्रि जागरण भी किया जाता है।* *शिवरात्रि के दिन, दिन-रात शिवजी की विशेष पूजा और विशेष अभिषेक किया जाता है।* *आखिर क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?* *माता पार्वती नें भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।* *शिव पुराण के मुताबिक, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर "देवों के देव महादेव" नें फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को उनसे विवाह किया था।* *इसीलिए शिवरात्रि की तिथि पर, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है तथा शिवजी की बारात भी निकाली जाती है।* *इस दिन को "शिव और शक्ति" के मिलन का शुभ दिन भी माना जाता है।* *पौराणिक कथाओं में यह भी प्रचलित है कि इसी दिन शिवजी नें वैराग्य छोड़कर माता पार्वती से विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।* *इसी कारण से महा शिवरात्रि पर भक्त जन अपनी भक्ति और श्र्द्धा प्रकट करने के लिये इस पर्व को अति उत्साह से मनाते हैं।* *शिव पुराण में महाशिवरात्रि के महात्म्य के बारे में बताया गया है कि, यह त्यौहार भारत वर्ष के आध्यात्मिक उत्सवों की सूची में सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है।* *"परम-तत्व" (ईश्वर से मिलन) की चाहना रखने वाले साधकों के लिये शिवरात्रि "कल्प-तरु के समान लाभदायक है।"* *इस दिन मनुष्य को आध्यात्मिक शिखर तक पहुंँचने का सर्वश्रेष्ठ अवसर मिलता है।"* *यह पर्व सांसारिक महत्वाकांँक्षाओं, कामनाओं की पूर्ति कराने वाला तथा शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला भी, अत्यधिक लाभप्रद दिवस है।* *"शिवरात्रि से बढ़कर कोई दूसरा व्रत नहीं है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है।"* *इस दिन भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से करने से, जीवन के कष्ट दूर होते हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है तथा विवाह से सम्बंधित बाधाएंँ दूर होती हैं।* *"शिवजी का अभिषेक"- वैदिक मंत्रों और ""सामग्रियों"" से विधि पूर्वक सम्पन्न हो जाय इसके लिये किन्ही विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण देवता का वरण करना चाहिये।* *इस वर्ष शिवरात्रि का पर्व, अंग्रेजी तिथि के अनुसार दिनाँक 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।* *अधिकाँश मतों के अनुसार शिवजी की पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय ""निशीथ काल"" होता है।* *दिनांक 26 फरवरी की रात में "निशीथ काल"-* *"रात 12 बजकर 09 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।"* *"शिवरात्रि पर्व को मनाने की विशेष बातें:-* *इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा के रूप में, शिवजी का शास्त्रीय विधि से-- ""विशेष अभिषेक किया जाता है।""* *इस दिन शिव-कृपा प्राप्त करने के लिये दिन में व्रत किया जाता है उसके बाद रात्रि में पूजा (अभिषेक) करने के उपरांत-""फलाहार ले कर रात्रि-जागरण करते हुए-भजन कीर्तन करने का विधान है।""* *एक अन्य कथा के अनुसार-* *फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पहली बार भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।* *इसी तिथि पर भगवान शिव का ""निराकार से साकार रूप में अवतार भी हुआ था।""* *महाशिवरात्रि का दिन शिव भक्तों के लिये-* *"भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का एक विशेष अवसर माना जाता है".......* * 🙏🙏 *!! हर-हर महादेव !!*🙏🙏 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42

अमृत कथा
2/23/2025, 1:27:36 AM

*अमृत कथा* *जय हो बांके बिहारी जी* शोभा नाम की औरत जिसकी बहन वृंदावन में रहती थी। एक दिन वह उसको मिलने के लिए वृंदावन गई। शोभा जो कि काफी पैसे वाली औरत थी लेकिन उसकी बहन कीर्ति जो कि वृंदावन में रहती थी ज्यादा पैसे वाली नहीं थी लेकिन दिल की वह बहुत अच्छी थी या यह कह सकते हैं कि दिल कि वह बहुत अमीर थी। उसका पति मिट्टी के घड़े बनाने का काम करता था। शोभा काफी सालों बाद अपनी बहन को मिलकर बहुत खुश हुई। लेकिन उसमें थोड़ा सा अपने पैसे को लेकर घमंड भी था वो कीर्ति के घर हर छोटी बात पर उसकी चीजों के में से नुक्स निकालती रहती थी लेकिन कीर्ति जो थी उसको कुछ ना कह कर बस यही कह देती जो बिहारी जी की इच्छा। लेकिन शोभा हर बात में उस को नीचा दिखाने की कोशिश करती। कीर्ति ने अपनी तरफ से अपनी बहन की आवभगत में कोई कमी ना छोड़ी उसने अपनी बहन का पूरा ख्याल रखा उसने उसको वृंदावन के सारे मंदिर के दर्शन करवाए और उनकी महिमा के बारे में बताया शोभा यह दर्शन करके खुश तो हुई और उसने महिमा भी सुनी लेकिन उसका इन चीजों में इतना ध्यान नहीं था बस दर्शन करके वापस आ गई। उसको वृंदावन में रहते हुए काफी दिन हों गए। एक दिन वह अपनी बहन से बोली कि कीर्ति अब बहुत दिन हो गए तेरे घर को रहते हुए अब मुझे अपने घर को जाना चाहिए तो कीर्ति थोड़ी सी उदास हो गई और बोली बहन कुछ दिन और रुक जाओ। लेकिन शोभा बोली नहीं काफी दिन हो गए मुझे आए हुए घर में मेरा पति और बच्चे अकेले हैं उनको सास के सहारे छोड़ कर आई हूँ अब मैं फिर कभी आऊंगी। जब शोभा वापिस जाने लगी की कीर्ति जो कि शोभा की बड़ी बहन थी तो उसने अपनी छोटी बहन को उपहार स्वरूप मिट्टी का घड़ा दिया। घड़े को देखकर शोभा हैरान सी हो गई और मन में सोचने लगी क्या कोई उपहार में भी घड़ा देता है लेकिन कीर्ति के बार-बार आग्रह करने पर उसने अनमने से घड़ा ले लिया। जब शोभा जाने लगी तो कीर्ति की आँखों में आँसू थे लेकिन शोभा उससे नजरें चुराती हुई जल्दी-जल्दी वहाँ से चली गई। सारे रास्ते शोभा यही सोचती रही कि मैं घर जाकर अपनी सास और पति को क्या बताऊँगी कि मेरी बड़ी बहन ने मुझे घड़ा उपहार के रूप में दिया है तो उसको इस बात से बहुत लज्जा आ रही थी ।तो उसने सोचा कि मैं घर में जाकर झूठ बोल दूँगी कि घड़ा मै खरीद कर लाई हूँ मुझे तो मेरी बहन ने काफी कुछ दिया है। इसी तरह सोचती सोचती मैं घर पहुँची और उसने घर जाकर घड़ा अपनी रसोई के ऊपर रख दिया। उसको मन में बहुत ही गुस्सा आ रहा था कि मेरी बहन क्या इस लायक भी नहीं थी छोटी बहन को कुछ पैसे उपहार में दे सके। एक घड़ा सा पकड़ा दिया है। अब उसको अपने घर आए काफी दिन हो गए। गर्मियों के दिन थे तभी उसके गाँव में पानी की बहुत दिक्कत आने लगी कुएँ में नदियों में पानी सूख गया उसके गाँव के लोग दूर-दूर से पानी भर कर लाते थे पैसे होने के बावजूद भी शोभा को पानी के लिए बहुत दिक्कत हो रही थी। एक दिन शोभा बहुत दूर जाकर उनसे पानी भर रही थी वहाँ पर और भी औरतें पानी भरने के लिए आई हुई थी तो जल्दी पानी भरने की होड़ में धक्का-मुक्की में शोभा का घड़ा टूट गया। शोभा दूसरी औरतों पर चिल्लाने लगी यह आपने क्या किया बड़ी मुश्किल से तो मैंने पानी भरा था आप लोगों ने धक्का-मुक्की करके मेरा घडा तोड़ दिया है। अब वह उदास मन से घर को आई अब उसके पास कोई और दूसरा बर्तन भी नहीं था पानी भरने के लिए तभी अचानक उसको अपनी बहन के दिए हुए घडे की याद आई तो उसने रसोई के ऊपर से घड़ा उतारा और फिर चल पड़ी बड़ी दूर पानी भरने के लिए जब कुएँ पर पहुँची। अभी भीड़ कम हो चुकी थी। वह घड़े में पानी भरकर घर लाई। तभी उसका पति खेतों से वापस आया गर्मी अधिक होने के कारण वह गर्मी से बेहाल हो रहा था और आकर कहता शोभा क्या घर में पानी है। क्या एक गिलास पानी मिलेगा तो शोभा ने कहा हाँ मैं अभी भरकर लाई हूँ। तभी उसने उस घड़े में से एक गिलास पानी भरकर अपने को पति को दिया गले में से पानी उतरते ही उसका पति एकदम से उठ खड़ा हुआ और बोला यह पानी तुम कहाँ से लाई हो तो शोभा एकदम से डर गई कि शायद मुझसे कोई भूल हो गई है तो उसने कहा, क्यों क्या हुआ ? तो उसने कहा यह पानी नहीं यह तो अमृत लग रहा है। इतना मीठा पानी तो आज तक मैंने नहीं पिया। यह तो कुएँ का पानी लग ही नहीं रहा यह तो लग रहा है किसी मंदिर का अमृत है। तो शोभा बोली मैं तो कुएँ से ही भरकर लाई हूँ। यह देखो घड़ा भरा हुआ उसके पति ने कहा यह घडा तुम कहाँ से लाई थी उसने कहा जब मैं वृंदावन से वापस आ रही थी तो मेरी बहन ने मुझे दिया था यह सुनकर उसका पति चुप हो गया। अब शोभा का पति बोला कि मैं थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हूँ तब तक तुम भोजन तैयार करो। तो शोभा ने उसे घड़े के जल से दाल चावल बनाये घड़े के पानी से दाल चावल बनाने से उसकी खुशबू पूरे गाँव में फैल गई गाँव के सब लोग सोचने लगे कि आज गाँव में कहाँ उत्सव है जो इतनी अच्छी खाने की खुशबू आ रही है सब लोग एक एक करके खुशबू को सूँघते हुए शोभा के घर तक आ पहुँचे साथ में उसका पति भी था तो उसने आकर पूछा कि आज तुमने खाने में क्या बनाया है तो उसने कहा कि मैंने तो दाल और चावल बनाए हैं तो सब लोग हैरान हो गए की दाल चावल की इतनी अच्छी खुशबू। सब लोग शोभा का मुँह देखने लगे कि आज तो हम भी तेरे घर से दाल चावल खा कर जायेंगे। उसने किसी को मना नहीं किया और थोड़ी थोड़ी दाल चावल सब को दिए। दाल चावल खाकर सब लोग उसको कहने लगे यह दाल चावल नहीं ऐसे लग रहा है कि हम लोग अमृत चख रहे हैं ।तो शोभा के पति ने कहा कि तुमने आज दाल चावल कैसे बनाये। उसने कहा कि मैंने तो यह घड़े के जल से ही दाल चावल बनाए हैं। शोभा का पति बोला तेरी बहन ने तो बहुत अच्छा उपहार दिया है अगले दिन जब शोभा घड़ा भरनेें के लिए जाने जाने लगी तो उसने देखा घड़ा तो पहले से ही भरा हुआ है उसका जल वैसे का वैसा है जितना वो कल लाई थी उसने उसमें से खाना भी बनाया था जल भी पिया था लेकिन घड़ा फिर भरा का भरा था। शोभा एकदम से हैरान हो गई यह कैसे हो गया। तभी अचानक से उसी दिन उसकी बहन कीर्ति थी उसको मिलने के लिए उसके घर आई तो शोभा अपनी बहन को देख कर बहुत खुश हुई। उसको गले मिली और उस को पानी पिलाया तो उसने अपनी बहन को कहा कि दीदी यह जो तूने मुझे घड़ा दिया था यह तो बहुत ही चमत्कारी घड़ा है मैंने तो तुच्छ समझ कर रसोई के ऊपर रख दिया था लेकिन कल से जब से यह मैं इसमें जल भरा हुआ है तब से जल से भरा हुआ है इसका जल इतना मीठा है और इसके जल से मैंने दाल और चावल बनाए जो कि अमृत के समान बने थे। उसकी बहन बोली, अरी ! ओ मेरी भोली बहन क्या तू नहीं जानती कि यह घड़ा ब्रज की रज यानी वृंदावन की माटी से बना है जिस पर साक्षात किशोरी जू और ठाकुर जी नंगे पांव चलते हैं उसी रज से यह घड़ा बना है यह घड़ा नहीं साक्षात किशोरी जी और ठाकुर जी के चरण तुम्हारे घर पड़े हैं। किशोरी जी और ठाकुर जी का ही स्वरूप तुम्हारे घर आया है। यह सुनकर उसकी बहन अपने आप को कोसती हुई और शर्मिंदा होती हुई अपनी बहन के कदमों में गिर पड़ी और बोली मुझे क्षमा कर दो जो मैं वृंदावन की रज (माटी) की महिमा को न जान सकी। जिसकी माटी में इतनी शक्ति है तो उस बांके बिहारी और लाडली जू मे कितनी शक्ति होगी। मैं अज्ञानी मूर्ख ना जान सकी। मुझे ब्रज की रज की महिमा और उसकी महत्वता का नहीं पता था। मुझे क्षमा कर दो तो उसकी बहन उसको उठाकर गले लगाती हुई बोली की बहन किशोरी जी और ठाकुर जी बहुत ही करुणा अवतार है तुम्हारे ऊपर उनकी कृपा थी जो इस घड़े के रूप में इस रज के रूप में तुम्हारे घर पधारे।शोभा बोली बहन तुम्हारे ही कारण मैं धन्य हो उठी हूँ।तुम्हारा लाख-लाख धन्यवाद।यह कहकर दोनों बहने आँखों में आँसू भर कर एक दूसरे के गले लग कर रोने लगीं..!! *🙏🏿🙏🏾🙏जय जय श्री राधे*🙏🏼🙏🏻🙏🏽 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42

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अमृत कथा
2/24/2025, 2:28:40 AM
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अमृत कथा
2/25/2025, 1:00:26 AM

*🌞सुप्रभातम🌞* जय महेश *🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳* दिनांक २५ फरवरी २०२५ दिन मंगलवार विक्रमी संवत २०८१ शक संवत १९४६ सूर्य उत्तरायण दक्षिणगोल बसंत ऋतु फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि १२:४७ तक फिर त्रियोदशी तिथि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र १८:३० तक फिर श्रवण नक्षत्र व्यतिपात योग ०८:१४ तक फिर वरियान योग २९:५० तक फिर परिघ योग मकर राशि में चन्द्रमा *आज का सुविचार* *"यदि व्यक्ति इस बात की परवाह नहीं करे कि श्रेय किसे मिलता है, तो वह कितना अच्छा कर सकता है इसकी कोई सीमा नहीं है।"* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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अमृत कथा
2/24/2025, 2:44:32 AM
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अमृत कथा
2/23/2025, 1:30:51 AM
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अमृत कथा
2/23/2025, 1:26:46 AM

*अमृत कलश* *बहुत सुंदर* *दिल को छूने वाली लाईन* सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा..😓 कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा..😭 खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में.. कुछ थे परेशान कुछ उदास थे.. पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे.. दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.. ..तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया.. और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.. हाथ थामने वाला कोई और नही..मेरा भगवान था.. चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था.. जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.. तो हँस कर बोला.. "तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.. आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ..।" रो दिया मै..अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर.. जिसको दो घडी जपा वो बचाने आये है.. और जिन मे हर घडी रमा रहा वो शमशान पहुचाने आये है.. तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.. कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था..!! *🙏🏻🙏🏼🙏जय श्री कृष्ण*🙏🏾🙏🏿🙏🏽 Follow the अमृत कथा channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va9okzRDp2QHinYI7t42

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