अमृत कथा
June 20, 2025 at 01:33 AM
गुरु जी ने बताया की,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ यह शरीर मिला है,घर मिला है, गाड़ी मिली है चलाने को तो इनका रखरखाव भी जरूरी होता है सफाई भी जरूरी है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ रसोई में खाना बनाएं और रसोई बंद करके आ जाए ऐसे थोड़ी होता है भोजन का वितरण भी करना है सब की भूख भी मिटानी है ऐसे ही ज्ञान सुनकर बैठ नहीं जाना है उसको जीवन में लगाना भी है,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ बना हुआ भोजन खिलाया नहीं जाएगा तो वेस्ट हो जाएगा ऐसे ही हमारे पास जो कुछ भी है प्रेम, धन, ज्ञान बांटते चले,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ गुरु ज्ञान से अपना और सर्वे का उद्धार हो ऐसा जीवन बनाना है,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ अपने मन और इंद्रियों को समेट कर रखना है जैसे कछुआ अपने अंग समेटकर कर रखता है ज्ञानी भी जब जिस इन्द्रिय की जरूरत होती जैसे हाथ,, पैर, मुख वाणी इस्तेमाल करके फिर शांत होकर बैठ जाता है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ गांधी जी ने अपनी जेल यात्रा को भी तीर्थ यात्रा बना दिया था ज्ञानी भी जहां बैठा होता है वहीं से अपनी आत्मा की उन्नति में लगा रहता है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ ज्ञानी का मन उसके वश में होता है तभी वह अपनी इंद्रियों को समेट कर रखता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ गुरु की मत लेकर अपनी मत को सुमत बनाकर विवेक रुपी जीवन जीना है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ जब हम बिना किसी को जताये प्रेम, सम्मान, पदार्थ देते हैं वह यज्ञ हो जाता है,,,,,,,,,,,,,,,,, ☘️ जब गलत खाना नहीं खाते तो गलत संगति क्यों करते हैं? जैसे हमारा सँग होता वैसा हमारा रंग भी हो जाता है तो हम देखे हमारा सँग कैसा है,,,,,,,,,,,,,,, ☘️शुक्राने सतगुरु जी के, हरि ॐ,,,,,,,,,,,,,,,,,
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