
SWAYAM SAINIK DAL_SSD
June 20, 2025 at 02:52 AM
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*(समता एवं स्वाभिमान के लिए संघर्ष)*
*साईकिल जैसे छोटे से साधन से हम बड़े साधन वालों का मुकाबला करना चाहते हैं - मान्यवर कांशीराम साहब*
मा. कांशीराम जी ने अपने भाषण में कहा कि कन्याकुमारी से दिल्ली के लिए 6 दिसम्बर 1983 से 15 मार्च 1984 तक 100 दिन के लिए यह अभियान शुरू किया गया है।
यह अभियान बहुजन समाज को एक सूत्र में बाँधने के लिए है, तथा एक विषय, एक चीज को ध्यान में रखने के लिए और बड़े पैमाने पर विचार करने के लिये यह अभियान प्रारम्भ किया गया है।
इसी कोशिश का नतीजा है कि आज यहाँ हमारा सम्मेलन हुआ है।
30 साईकिल रैलियाँ दिल्ली की ओर चल रही हैं।
प्रतिदिन पाँच मीटिगें छोटी-बड़ी ली जाती हैं।
साईकिल जैसे छोटे से साधन से हम बड़े साधन वालों का मुकाबला करना चाहते हैं।
गाँव-गाँव में यह अभियान चलाकर सम्मान और समानता के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
इन सब काम के लिये हमें स्वयं को देखना है और तैयार करना है, अन्यथा कुछ नहीं हो पायेगा।
हम आजादी के पिछले 36 साल की बात ही क्यों करते हैं, पिछले हजारों सालों की ओर देखें तो पता चलेगा कि बहुजन समाज की समानता और स्वतंत्रता छीनी गई है, इसके लिये हमें स्वयं को तैयार करना है।
यह अभियान 30 दिशाओं से चल कर 15 मार्च को दिल्ली पहुँचेगा, हम 85 प्रतिशत की बात करते हैं तो दुख होता है कि हमने अपने को तैयार नहीं किया है।
यह जो जातिवाद है वह किसकी देन है, किसने बनाया?
जिसे इससे आज फायदा हो रहा है, वह उसे मिटाने की कोशिश क्यों करेंगे।
जिन लोगों ने हमें 6 हजार जातियों में बांटा है, वे मिटाना नहीं चाहेंगे।
हम उस बंटवारे को छोटा करने में लगे हुए हैं और लोगों को यह बुरा लगता है।
6 हजार जातियों में बंटे हमारे लोग इकट्ठा होते हैं तो इन्हें बुरा लगता है, लेकिन हमें तो अच्छाई की तरफ देखना है हम जब लोगों को इकट्ठा करते हैं, तो जातिवाद कम करने के लिए इन्सान की भलाई की बात करते हैं तो ये जातिवाद के खिलाफ बात करता है, सबसे ज्यादा जातिवादी वही होता है।
जातिवाद के बारे में केवल उनको ही नहीं सोचना है हमें भी सोचना है।
हम सोचते हैं कि तर्क के आधार पर बात होती है तो उनकी बात में ऐसी कोई सच्चाई नजर नहीं आयेगी।
ओ.बी.सी. का उल्लेख करते हुए बताया कि 52 प्रतिशत हिस्से में से उन्हें केवल 8 प्रतिशत ही मिला, लेकिन इसमें दोष हमारा ही है छत्तीसगढ़ में आज 65 साल का वृद्ध तेली गाँव में 15 साल के ब्राह्मण से पायं लागू कहता है और ब्राह्मण लड़का तेली को 'सुखी रहो' का आशीर्वाद देता है।
कुल मिलाकर हमें स्वयं को तैयार करना है।
85 प्रतिशत में से हमने अगर आधे लोगों को ही एकत्र कर लिया, तो हम देश की सत्ता संभाल सकते हैं।
तैयारी के बल पर ही मद्रास में बहुजन की सरकार है।
हम लायक हैं या नहीं इसके लिये घबराने की जरूरत नहीं हैं।
एस.सी./एस.टी. जो सबसे ज्यादा नालायक समझे जाते थे, उन्हीं के आई.ए.एस, आई.पी.एस. आज दूसरे नम्बर पर हैं।
मद्रास में बहुजनो ने स्वयं को तैयार करके जिस तरह पंडित को पछाड़ा है उसी तरह हमें भी तैयारी करके उन्हें पछाड़ना है।
छत्तीसगढ़ में लोगों ने अच्छी तैयारी की है।
डी एस 4 को अभी 7-8 माह का समय और है, आने वाले थोड़े समय में ही अगर हम 30-35 प्रतिशत लोगों को इकट्ठा कर तैयार कर पाये तो भी हमारी मर्जी के बिना इस देश का कारोबार नहीं चल सकेगा।
दूसरों के संचार साधनों पर हमें नहीं जीना है, ये लोग हमारी खबर नहीं छापते तो निकट भविष्य में हम भी इनकी खबर नहीं छापेंगे।
हमारी खबर तो उसी तरह देंगे, जैसे कि 'पूना पैक्ट' के समाचार का प्रसारण किया था कि 'पूना पैक्ट' के कार्यक्रम पर बैन लग गया है और वहाँ गोली चलने का खतरा है।
'मुर्दा बोले कफन फाड़े'। इसलिए बहुजन को अपनी तैयारी करके सारे कारोबार को अपने हाथ में लेंना है, मांगने की आदत छोड़ देना है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी लोगों द्वारा हमारे खिलाफ भड़काया जा रहा है।
कहते हैं इनके कार्यक्रम में नहीं जाना।
इन्हें पैसा मत दो, बल्कि इनसे पैसा माँगो, क्योंकि इनके पास तो विदेशों का पैसा है।
बहुजनो को पैसा देकर अपने कार्यक्रम में खींचते हैं, श्री कैयूर भूषण संसद सदस्य का पंफलेट मेरे नालेज में लाया गया जिसमें लिखा था कि विदेश से पैसा आ रहा है और देश का ढांचा बिगाड़ा जा रहा है, एक तरफ कहते हैं पैसा नहीं दो, हम जो धन इकट्ठा करते हैं उसे विदेशों का धन कहते हैं।
हम जिसे इस्तेमाल करते हैं उसे विदेशी धन कहते हैं।
चार संसद सदस्य कह रहे थे कि इन लोगों के पास विदेशी धन आ रहा है।
समझ में नहीं आ रहा है कि फिर संसद और सरकार उसे रोकती क्यों नहीं।
यह कितनी बड़ी नालायकी का सबूत है।
हम स्टेज से उनके लिये यह सब बोलते हैं तो उनके लिये यह खुली चुनौती रहती है।
आज छोटे साधनों से बड़े पैमाने पर हमने लहर शुरू कर दिया है और उन्हें यह बुरा लग रहा है।
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