
she'r-o-suKHan
June 19, 2025 at 05:16 AM
अश्क ज़ाएअ' हो रहे थे देख कर रोता न था
जिस जगह बनता था रोना मैं उधर रोता न था
*सिर्फ़ तेरी चुप ने मेरे गाल गीले कर दिए*
*मैं तो वो हूँ जो किसी की मौत पर रोता न था*
प्यार तो पहले भी उस से था मगर इतना नहीं
तब मैं उस को छू तो लेता था मगर रोता न था
*— Tehzeeb Hafi*
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