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                                June 19, 2025 at 06:05 AM
                               
                            
                        
                            *ज़ाइद¹ ज़िंदगी —*
¹ ज़्यादा, अतिरिक्त, फ़ालतू 
कहानी और होती कुछ हमारी
अगर हम वक़्त से सोने की 'आदत डाल लेते
मगर हम तो
न जाने क्या समझते थे सहर तक जागने को
जो हम ने जाग कर काटी हैं नींद आते हुए भी
वो ज़ाइद ज़िंदगी है
वो ज़ाइद ज़िंदगी है जिस ने सारे मसअले पैदा किए हैं
जिसे जीने में
ख़्वाबों के ये उल्झट्टे हुए हैं
*— शारिक़ कैफ़ी*
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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