she'r-o-suKHan
she'r-o-suKHan
June 19, 2025 at 06:17 AM
कल भी हो जाए मौत क्या होगा? सब की होती है क्या नया होगा? मेरे लिखने से कुछ रुकेगा क्या? लिखना, ग़म से निजात देगा क्या? ना ये दुनिया हसीन होगी ना उसके पापों का फ़ैसला होगा मेरे लिखने से बोल क्या होगा? *— पुनीत*

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