
she'r-o-suKHan
June 19, 2025 at 06:25 AM
*मैं —*
मैं एक भागता हुआ दिन हूँ और रुकती हुई रात —
मैं नहीं जानता हूँ
मैं ढूँढ़ रहा हूँ अपनी शाम या ढूँढ़ रहा हूँ अपना प्रात!
*— श्रीकांत वर्मा*
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