
𝗗𝗔𝗜𝗟𝗬 𝗜𝗦𝗟𝗔𝗠𝗜🕊
June 8, 2025 at 03:08 PM
🎍﷽ 🎍
*❥ निकाह ❥*
*⚄ पार्ट -59 ⚄*
*⇰शोहर को महर हदिया करना,*
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*✪_ औरत बगैर किसी ज़बरो कराह के अपनी रज़ा व रगबत से महर का कुछ हिस्सा या कुल महर शोहर को हदिया कर दे, ये शोहर के लिए हलाल है, चुनाचे इरशादे बारी ताअला है (सूरह अन-निसा, आयत- 4):-*
*✪ _( तर्जुमा) तुम लोग बीवीयों को उनका महर ख़ुशदिली से दे दिया करो, अगर वो बीवियां ख़ुशदिली से छोड़ दें तुमको उस महर में कोई हिस्सा (और यही हुक्म कुल का भी है) तो (इस हालत है) तुम उसको खाओ (काम में लो) मजेदार ख़ुशगवार समझकर,*
*✪_इस आयत की तफ़सीर करते हुए हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद शफ़ी साहब रह. तहरीर फरमाते हैं:- महर के मुताल्लिक़ अरब में कई क़िस्म के ज़ुल्म होते थे, एक ये कि महर जो लड़की का हक़ है उसको ना दिया जाता था, बल्कि लड़की के वली (वाल्देन) शोहर से वसूल कर लेते थे, जो सरासर जुल्म था, इसको दफा करने के लिए कुरान ए करीम ने फरमाया कि शोहर अपनी बीवी का महर खुद बीवी को दे और दूसरे को ना दे, और लडकियों के वली (वाल्देन) अगर लड़कियों के महर उनको वसूल हो जाएं तो ये लड़कियों ही को दे, उनकी इजाज़त के बगैर अपने तसर्रुफ़ में ना लाएं,*
*✪_दूसरा ज़ुल्म ये था कि अगर कभी किसी को महर देना भी पड़ गया तो बहुत तल्खी और नागवारी के साथ तावान समझ कर देते थे, इस ज़ुल्म का इज़ाला आयते मज़कूरा में करते हुए फरमाया कि खुश दिली के साथ दिया जाए,*
*✪_गर्ज़ इस आयत में ये तालीम फरमाई गई कि औरतों का महर एक हक़ ए वाजिब है, इसकी अदायगी ज़रूरी है और जिस तरह तमाम हुक़ूक़ ए वाजिबा को खुश दिली के साथ अदा करना ज़रूरी है उसी तरह महर को भी समझना चाहिए _, (म'आर्फुल कुरान -2/297)*
*⇲ अगला पार्ट- 60 🔜 इंशा अल्लाह ता'ला,*
*↳® इज़्दवाजी ज़िंदगी के शरई मसाइल*
*▍✿ ✒ तालिब ए दुआ ✧*
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