
अदल तौहीद
June 17, 2025 at 04:12 PM
हज़रत अनस-बिन-मालिक (रज़ि०) फ़रमाते हैं कि एक दिन रसूलअल्लाह ﷺ ने हमें नमाज़ पढ़ाई फिर हमारी तरफ़ मुतवज्जेह हुए और फ़रमाया:मैं तुम्हारा इमाम हूँ इसलिये रुकूअ सजदे उठने और सलाम फेरने में मुझ से जल्दी न किया करो। मैं तुम्हें हर हाल में देखता हूँ तुम आगे हो या पीछे। फिर फ़रमाया: क़सम है उस ज़ात की जिसके हाथ में मेरी जान है! अगर तुम वो चीज़ें देख लो जो मैं देख चुका हूँ तो तुम बहुत कम हँसो और बहुत ज़्यादा रोओ। हमने कहा:ऐ अल्लाह के रसूल! आपने क्या देखा है?आपने फ़रमाया:मैंने जन्नत और दोज़ख़ देखी है❗️📘(नसाई:1364)