Maulana Munavvar Raza
Maulana Munavvar Raza
June 14, 2025 at 03:21 PM
*त्योहार के मौसम में या किसी भी मौसम में, अगर किसी चीज की गारंटी है तो सिर्फ नकली चीजों की, फिर चाहे वो दूध, दही, घी या मिठाई हो...* *पहचानिये, दूध असली है या नकली.?* *खुद करें जांच नकली दूध की* डेयरी से या फिर घर-घर जाकर दूध बेचने वाले दूधिए से रोजाना दूध ले रहे हैं तो एक बार उस दूध की जांच खुद भी करके देंखे। हो सकता है कि जिसे आप दूध समझकर सेवन कर रहे हैं वो दूध हानिकारक केमिकल से बना नकली दूध हो। अगर ऐसा है तो आप और आपके बच्चे दूध पीकर सेहतमंद बनने की बजाय कमजोर, मंदबुद्धि, इंटरनल ऑर्गेन पैरालाइसिस सहित अंधेपन और नपुंसकता का शिकार हो सकते हैं। रसायन शास्त्री डॉ. विनायक तोमर ने नई दुनिया को बताया किस तरह लोग घर पर ही महज 15 से 20 रुपए के खर्च में हानिकारक रसायनों की दूध में उपस्थिति का पता लगा सकते हैं। एक ही दिन में प्रशासन ने दो जगहों पर नकली दूध बनाने की फैक्ट्रियां पकड़ीं जो मुरैना के अलावा ग्वालियर, आगरा, धौलपुर जैसे शहर में यह दूध खपा रही थीं। यहां से कुछ हानिकारक रसायन भी मिले हैं। रसायन शास्त्री डॉक्टर विनायक तोमर के मुताबिक नकली दूध में यूरिया, फर्मलिन, हाईड्रोजन पराक्साइड, सोडियम कार्बोनेट, सोडियम बाई कार्बोनेट, हल्की क्वालटी के ग्लूकोज का उपयोग किया जाता है। आम तौर पर यह सस्ते रसायन कहीं भी मिल जाते हैं। इनमें से कई रसायनों का उपयोग शव को सड़ने से बचाने के लिए किया जाता है। इन रसायनों का सिर्फ बाहरी उपयोग ही किया जा सकता है। रसायन अगर शरीर के भीतर पहुंच जाएं तो बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं। डॉ. तोमर ने पांच रासायनिक और पांच घरेलू विधि बताई हैं, जिनसे हम दूध, खोवा, पनीर जैसी चीजों में मिलावट और हानिकारक रसायन की उपस्थिति पता लगा सकते हैं। *दूध में मिलाए जाने वाले हानिकारक केमिकल* *(1). फर्मलीन का वास्तविक उपयोग:* यह रसायन सूक्ष्म जीवों को पनपने नहीं देता। इसलिए इसका उपयोग डेड बॉडी या जीव जंतुओं के शरीर को सड़ने से बचाने के लिए किया जाता है। यह सेवन योग्य नहीं होता। दूध में उपयोग क्यों: नकली दूध को लंबे समय तक बिना फ्रीज किए भी सही हालत में रखने और दूध को गाढ़ा बनाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। *शरीर पर कुप्रभाव:* अगर इसका सेवन कर लिया जाए तो आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती जाती है। आंतों में घाव हो जाते हैं। मस्कुलर सिस्टम काम करना बंद कर देता है। *दूध में उपस्थिति पता लगाने की विधि:* 5ml दूध को एक परखनली में लीजिए। इसमें सांध्र सल्फ्यूरिक अम्ल की दो बूंद मिलाइए। दूध में बायलेट या ब्लू कलर की रिंग बन जाएं तो साफ है कि दूध में फर्मलीन है। *(2). यूरिया का वास्तविक उपयोग:* यूरिया खाद है, जो रसायनों से बनता है। इसका उपयोग खेतों में फसलों को पोषण देने के लिए किया जाता है। *दूध में उपयोग क्यों:* यूरिया थक्का बनाता है। इसे दूध में इसलिए मिलाया जाता है ताकि इसे गर्म करने पर यूरिया मलाई की तरह दूध की सतह पर जम जाए। शरीर पर कुप्रभाव: इसका सेवन कर लेने से सेवन करने वाला व्यक्ति मंदबुद्धि होता चला जाता है। मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। लगातार सेवन से पुरुषों की पितृत्व शक्ति कम होने लगती है। *दूध में उपस्थिति पता लगाने की विधि:* 5ml दूध को परखनली में लीजिए। इसमें पैराडाई मिथाइल अमीनोवैंजाइनडीहाइड की दो बूंद डालिए। अगर दूध में पीला कलर आ जाता है तो दूध में यूरिया की उपस्थिति पुष्ट हो जाती है। *(3). हाईड्रोजन पराक्साइड का वास्तविक उपयोग:* ये बैक्टेरिया नाशक होता है। इसे तेजाब भी कहते हैं। डॉक्टर अक्सर इंजेक्शन लगाने से पहले या ड्रेसिंग से पहले इसका उपयोग त्वचा को साफ करने के लिए करते हैं। *दूध में उपयोग क्यों:* ये रसायन तेजाब है और झाग बनाता है। नकली दूध में असली की तरह झाग बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। *शरीर पर कुप्रभाव:* यह शरीर पर बाहरी उपयोग के लिए है। अगर इसका सेवन कर लिया जाए तो शरीर में भोजन से क्रिया कर यह फूड टॉक्सिन जहर बनाता है। इसके सेवन से व्यक्ति हमेशा थका-थका महसूस करता है और अनिद्रा का शिकार हो जाता है। *दूध में उपस्थिति पता लगाने की विधि:* 5ml दूध परखनली में लीजिए और पैराफिनायलीन डाई एमीन की दो बूंद डालिए। अगर दूध का रंग नीला हो जाए तो समझिए दूध में हाईड्रोजन पराक्साइड मौजूद है। *(4). सोडियम कार्बोनेट व सोडियम बाई कार्बोनेट का वास्तविक उपयोग:* यह एक रसायन जो हमारी फिजिकल ग्रोथ के लिए आवश्यक है यह शरीर में ही मौजूद रहता है। यही रसायन मस्तिष्क तक संदेश पहुंचाने वाले सिस्टम को चलाता है। *दूध में उपयोग क्यों:* दूध में इसे इसलिए मिलाया जाता है कि अगर कोई दूध को गर्म कर खोवा बनाता है। दूध में दाने पड़ जाएं और किसी को शक न हो कि दूध नकली है। शरीर पर कुप्रभाव: अगर इसे कृत्रिम तौर पर बनाकर दूध या अन्य किसी तरीके से खा लिया जाए तो यह भोजन की कैलोरी नष्ट कर देता है। शरीर को ऊर्जा मिलना बंद हो जाती है और व्यक्ति अंदरूनी तौर से कमजोर हो जाता है। जबकि बाहर से वह स्वास्थ्य नजर आता है। दूध में उपस्थिति पता लगाने की विधि: 5ml दूध परखनली में लें। इसमें एल्कोहल व रोजेलिक ऐसिड की दो बूंदे डालें अगर रंग गुलाबी हो जाए तो साबित होगा कि दूध में ये रसायन मौजूद हैं। *(5). खराब क्वालिटी के ग्लूकोज का दूध में उपयोग:* दूध में इसका उपयोग स्वाद और गाढ़ेपन के लिए करते हैं। ताकि दूध में रसायनों की स्मैल व स्वाद छिप जाए। वास्तविक उपयोग: इसका उपयोग वैसे तो शरीर को ऊर्जा देने के लिए किया जाता है। शरीर पर कुप्रभाव: ग्लूकोज क्रिस्टल बनाता है। अगर हम घटिया क्वालिटी का ग्लूकोज सेवन करें और अत्यधिक मात्रा में करें तो इससे शरीर में सुन्न्पात और आंतरिक अंगों को लकवा मारने की शिकायत हो जाती है। दूध में उपस्थिति पता लगाने की विधि: इसके लिए दूध में डाई एसिटिक स्टिक जो कि मेडिकल पर मिल जाती हैं। यह स्टिक डुबोएं। स्टिक का रंग स्टिक मीटर के रंग से मिलाएं। इसकी मात्रा जितनी ज्यादा आएगी समझिए उतनी ही घटिया क्वालिटी का ग्लूकोज दूध में मिलाया गया है। *ये हैं दूध, मावा व पनीर में मिलावट पता लगाने घरेलू नुस्खे...* (1). दूधिए से लिए जाने वाले एक लीटर दूध में एक चम्मच अरहर या सोयाबीन को पीसकर डाल दें। दूध का सफेद रंग चला जाएगा। मतलब इसमें हानिकारक रसायन हैं। (2). एक मोमबत्ती जलाएं। कांच के गिलास को दूध से भरें। मोमबत्ती से एक फीट ऊंचाई पर गिलास को ठीक मोमबत्ती की लौ के ऊपर ले जाएं और गिलास के ऊपर से मोम बत्ती की लो देखें। अगर लौ लंबी दिखे तो दूध शुद्ध है। अगर लौ फैली हुई दिखे तो दूध अशुद्ध है। क्योंकि रसायनिक दूध के रसायन गिलास के तल में बैठ जाते हैं और रोशनी को आर-पार होने से रोक देते हैं। (3). दूध को सामान्य से ज्यादा समय तक के लिए उबालें। इसके बाद इसमें मलाई जमने के लिए छोड़ दें। अगर दूध की मलाई पीली रंग की जमी है। तो समझ लीजिए कि इसमें यूरिया व अन्य केमिकल मौजूद हैं। (4). दूध को गर्म करने के बाद ठंडा होने दें। इसके बाद इसमें नीबू निचोड़ें। दूध फट जाता है तो वह शुद्ध है। अगर दूध नहीं फटता तो वह अशुद्ध है। क्योंकि नीबू के सूक्ष्म जीवों को फर्मलीन नष्ट कर देता है और दूध फटता नहीं है। (5). दूध को हल्का गुनगुना करें फिर जामन दें। अगर दूध का दही जम जाता है तो दूध शुद्ध है। अगर नहीं जमता तो दूध नकली है। क्योंकि रसायन जामन के सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देते हैं और दही नहीं जमने देते। किसी भी कॉलेज में छात्र अपने रसायन टीचर के साथ मिलकर दूध की जांच कर सकते हैं। मेडिकल से 15 से 20 रुपए में अभिकर्मक लेकर लोग घर पर भी दूध की जांच कर सकते हैं। महिलाएं घरेलू नुस्खों से दूध की शुद्धता पता लगा सकती हैं। यही क्रिया अगर मावा, पनीर, घी के साथ की जाए तो उनकी भी शुद्धता अशुद्धता का पता लगाया जा सकता है। साभार डॉ. विनायक सिंह तोमर, शोधकर्ता, रसायन एवं जीव वैज्ञानिक अग्रेषक श्याम सुंदर अग्रवाल हॉलिस्टिक एस्ट्रो हेल्थ काउंसलर

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