
शिक्षक दखल
June 10, 2025 at 01:09 PM
कक्षा में शिक्षण की निरंतर प्रक्रिया के बीच एक शिक्षक को न केवल छात्रों की सीखने की प्रवृत्तियाँ समझ में आती हैं, बल्कि उसके अपने अनुभव से यह भी ज्ञात होता है कि किसी शिक्षक की कल्पनाशीलता, संवेदनशीलता और शैक्षिक दृष्टि किस स्तर की है। यदि इस शिक्षण यात्रा की सूक्ष्मतम गतिविधियाँ दस्तावेज़ी रूप में संकलित होने लगें तो यह न केवल उस शिक्षक के लिए बल्कि समूची शिक्षा व्यवस्था के लिए एक अमूल्य धरोहर बन सकती है।
ऐसे आत्मकथ्य जो सीधे-सीधे कक्षा की मिट्टी से उपजे हैं, वे किसी भी औपचारिक शोध से अधिक जीवंत, ईमानदार और मौलिक होते हैं। हर अनुभव एकदम निजी, निश्छल और प्रमाणिक होता है—जिसे न तो सजाया गया है, न गढ़ा गया है। ऐसे लेखन को केवल शिक्षक की आत्मकथा कह देना उसे सीमित कर देना होगा; दरअसल यह तो उस विशेष समय और परिवेश का जीवंत शैक्षिक इतिहास बन जाता है।
जब कोई शिक्षक अपने अनुभवों को शब्द देता है, तो वह अनजाने में शिक्षा प्रशासन, शिक्षक-प्रशिक्षण, अभिभावकों और भावी शिक्षकों के लिए भी एक दृष्टिकोण का द्वार खोल देता है। जो भी इस लेखन से जुड़ता है—वह केवल जानकारी नहीं, प्रेरणा और दिशा प्राप्त करता है। यह वही जीवंत पाठ होता है जिसे बार-बार पढ़ने पर हर बार एक नया अर्थ निकलता है, और यही इसकी सबसे बड़ी शक्ति है।
✍️ *प्रवीण त्रिवेदी*
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